यह कलियुग है, यहां बुराई का है बोलबाला
इन्सानियत की सेवा करो, आप की खुशी में उसकी खुशी है
सरसा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाते हैं। राम का नाम इन्सान अगर हर समय याद रखे और सुबह शाम कम से कम आधा घंटा अपने आप को राम के नाम से जोड़कर रखे, तो आने व...
परमात्मा का नाम जपने से मिलता है परमानंद
सरसा (सकब)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सभी धर्मों में लिखा है कि मनुष्य शरीर सबसे श्रेष्ठ शरीर है और जीवात्मा को यह शरीर 84 लाख जूनियों के बाद सबसे अंत में प्राप्त होता है।
मनुष्य शरीर ही एकमात्र ऐसा जरिया है जिस...
सुमिरन से दूर होती हैं बुराइयां
सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इस संसार में वो लोग भाग्यशाली हैं जो संतों की बात सुनकर उस पर अमल कर लिया करते हैं। आज मनमते लोग अपने-अपने काम-धंधों में लगे हुए हैं और अपनी ही वजह से दु:खी हैं। पूज्य गुरु जी फरमा...
सतगुरू जी ने एक माह पहले संस्कारी रूह को दर्शाया उसका अंत समय…
बहन दर्शना रानी इन्सां पत्नी सचखंडवासी मास्टर हंसराज , गांव माहूआणा बोदला, तह. व जिला फाजिल्का (पंजाब) सतगुरू जी की अपने ऊपर हुई अपार रहमत का वर्णन इस प्रकार बयान करती है।
ऐ मालिक! हमारे परिवार पर ऐसी दया-रहमत करना कि हम भी अपने आखिरी स्...
अनमोल वचन : खुशियों का खजाना है सेवा-सुमिरन
सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सेवा और सुमिरन इन्सान को वह तमाम खुशियां दिला देते हैं, जिसकी इन्सान ने कभी कल्पना भी नहीं की होती। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि अकसर यह कहा जाता है कि जो भाग्य में है वो मिलता है, ...
कर्म बुरे न करो, उनका फल जब भोगना पड़ता है तब छुटकारा नहीं होगा: पूज्य गुरू जी
सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां (Pujya Guruji) फरमाते हैं कि इन्सान जब तक इन्सानियत पर नहीं चलता, तो इन्सान को जो परमपिता परमात्मा ने वचन किये हैं, तोहफे बख्शे हैं वो नहीं मिलते। इन्सानियत का तकाजा कि आप रहम करें, दया करे...
सेवा-सुमिरन को गहना बना लो
जो लोग सेवा-सुमिरन को गहने बना लेते हैं, अमल करते हैं, मालिक उन पर अपनी दया-मेहर जरूर करता है। इस घोर कलियुग में सेवा करना बड़ा ही मुश्किल है। कोई भागों वाले जीव होते हैं जो सेवा करते हैं। सेवा के साथ-साथ सुमिरन, भक्ति-इबादत की जाए तो किसी भी चीज की कमी नहीं रहती।
सत्संग में पैदा होती है प्रभु-भक्ति की भावना
सरसा (सकब)। पूज्य हजूर पिता संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि नाम सब सुखों की खान है जिस इन्सान को परमात्मा का पाक-पवित्र नाम मिल जाता है वह भाग्यशाली है एवं बाद में आगे जो इसका सुमिरन करता है वह अति भाग्यशाली बन जाता है। दोनों जहान की...
भावना को पवित्र करने के लिए सत्संग में आओ
सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि हे इन्सान, तुझे मनुष्य शरीर बेशकीमती मिला है। भगवान ने सब शरीरों में से मनुष्य को बिल्कुल अलग बनाया है। इसके अंदर जितना दिमाग, सोचने-समझने की शक्ति है, किसी और प्राणी में नहीं। पर ...
अनमोल वचन : परमात्मा की चर्चा से आती हैं बरकतें
सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इन्सान जितनी भी मालिक, परमात्मा की चर्चा करता है, उतनी ही बरकतें उसकी झोली में आती चली जाती हैं। लेकिन यदि इन्सान दुनिया की, अपने मां-बाप की, परिवार की व भगवान की निंदा, चुगली व बु...