Eyes Donated : राजकुमार इन्सां बने नेत्रदानी
डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा चलाई गई नेत्रदानी मुहिम से आज करोड़ों लोगों में जागरूकता आई है।
सुमिरन से बढ़ता है आत्मविश्वास
सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि नाम लेना भागों की बात है। वो जीव भाग्यशाली होते हैं, जो नाम से जुड़ते हैं। उनके भाग्य बहुत ऊंचे होते हैं, उन पर मालिक की कृपा होती है, तभी वो सत्संग में चलकर आते हैं और नाम लेत...
संगरिया की 10वीं शरीरदानी बनी माता मीरा देवी इन्सां
माता मीरा देवी इन्सां को पावन नारे ‘‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’’ के साथ भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की
जरूरतमंद को रक्तदान कर निभाया मानवता का फर्ज
हनुमानगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। जंक्शन शहर के एक डेरा सेवादार ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए चार साल के मासूम बच्चे के इलाज के लिए एक यूनिट रक्तदान कर मानवता का फर्ज अदा किया। जानकारी के अनुसार हनुम...
परमार्थ के लिए आते हैं संत
सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि संत, पीर-फकीर इस संसार में हर किसी का भला करने के लिए आते हैं। दुनिया में ज्यादातर लोग अपने लिए, अपने गर्ज के लिए समय गुजारते हैं, परन्तु संत परमार्थ के लिए समय लगाते हैं। दूसरों क...
लेकर कहां कुछ वापिस जाना, ये शरीर भी दान है…
‘जब तक सूरज चांद रहेगा भागीराम इन्सां तेरा नाम रहेगा...’ भागीराम इन्सां अमर रहे...,शरीर दान महादान के नारे लगाकर पार्थिव शरीर को विदाई दी
आत्मा दुनिया में आकर भूल जाती है गर्भ में किए वादे
पूज्य गुरु जी आगे फरमाते हैं कि जो जीवात्मा अपने मालिक से किए हुए वायदे को तोड़ देती है वह गद्दार के समान बन जाती है। वह आत्मा चंद रुपये-पैसों, मान-बड़ाई और अपनी झूठी वाह-वाह के लिए अपने मालिक से मुनकर हो जाती है।
डेरा श्रद्धालुओं का सराहनीय प्रयास: बिछुड़े युवक को परिवार से मिलवाया
(सच कहूँ/किरण रत्ती)। बुट्टर बद्धनी/ अजीतवाल। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए ब्लॉक बुट्टर बधनी के गांव राउके कलां के डेरा श्रद्धालुओं ने ग्रामीणों की मदद से मानसिक परेशान अमर सिंह नाम...
संतों के सख्त वचन भी हितकारी
सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि संत, पीर-फकीर इस दुनिया में सबका भला करने के लिए आते हैं। उनका किसी भी धर्म, मजहब या किसी भी व्यक्ति से कोई वैर-विरोध नहीं होता। संत, पीर-फकीर हर जीव को प्यार का पाठ पढ़ाते हैं...
शुद्ध अंत:करण से मिलता है भगवान
आप जी फरमाते हैं कि मालिक की मोहब्बत में चलना वही जानते हैं जो अपना सिर, हथेली पर रख लिया करते हैं। उसके प्यार में चलना कोई आसान काम नहीं है। इसमें सबसे बड़ी रुकावट उसकी खुदी है।