सरसा। पूज्य हजूर पिता संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सत्संग वो जगह है जहां इन्सान अगर चलकर आता है तो जन्मों-जन्मों के पाप कर्म कट जाते हैं। अंत:करण की मैल साफ हो जाती है और मालिक के दर्श-दीदार के काबिल इन्सान बनता चला जाता है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि अपनी भावना को शुद्ध करने के लिए आत्मा की मैल उतारने के लिए सत्संग से उत्तम कोई जगह नहीं है। बस इन्सान सुने और वचनों पर अमल करे तो अंदर-बाहर कोई कमी नहीं रहती। आप जी फरमाते हैं कि इन्सान जब वचनों को सुन कर मानता है, वचनों पर अमल करता है तभी मालिक की दया-मेहर, रहमत उस पर बरसती है।
इसलिए अपने अंत:करण की मैल साफ करो, विचारों का शुद्धिकरण करो। इसके लिए सत्संग में आओ, राम नाम का जाप किया करो, वचनों पर अमल किया करो। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इन्सान को वचन मानना मुश्किल लगता है, पर मुश्किल होता नहीं अगर सेवा और सुमिरन किया जाए। आप जी फरमाते हैं कि संत, पीर, फकीर कभी किसी को बुरा नहीं कहते, सबका भला मांगते हैं, भला करते हैं। ये इन्सान पर निर्भर करता है कि वो कितना वचन मानता है, वचन मान ले तो जन्मों-जन्मों के पापकर्म कट जाते हैं, आने वाले भयानक रोग, मुश्किलें टल जाती हैं।
वचन नहीं मानता तो अपने कर्मों का बोझ उठाना पड़ता है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि संत, पीर-फकीर यही कहते हैं कि नाम जपा करो, मालिक से मालिक को मांगा करो, मालिक की औलाद का भला मांगो और भला करो, अंदर छल-कपट न करो, किसी का बुरा न सोचो, भला करते जाओ, सुमिरन करते जाओ तो मालिक की दयामेहर, रहमत मूसलाधार जरूर बरसेगी। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि जैसा करो संग वैसा चढ़े रंग। अगर बुराई का संग करते हो तो बुराई आपकी खुशियों को जलाकर राख कर देती है।
भले पुरुषों का संग करते हो तो भलाई आपको समाज में रूहानियत में आगे लेकर जाएगी। इसलिए भले पुरुषों का संग करो। आप जी फरमाते हैं कि सत्संग तो जन्मों-जन्मों के पाप यहीं जला देती है और अगले जहान को आपके लिए तैयार बना देती है। इसलिए अपने अंदर की भावना को शुद्ध करते हुए मालिक की राह पर चलो। सुमिरन-सेवा कभी भी न भूलो। परमात्मा का नाम वो सुखों की खान है जो जन्मों-जन्मों के पाप कर्मों को काटेगा, इस जन्म में बुरे कर्मों को खत्म करेगा और आपको अंदर-बाहर से खुशियों से मालामाल करेगा।
वो दया का सागर, रहमत का दाता, हर समय, हर पल, हर जगह मौजूद है। इसलिए अपनी भावना को शुद्ध करते हुए, अपने आप को मालिक से जोड़ो, मालिक की भक्ति-इबादत से जोड़ो, सत्संग में आओ, सुनो और अमल करो। आपके जन्मों-जन्मों के पाप कर्म कट जाएंगे। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि वचनों पर अमल करना जरूरी है। आप सत्संग में आकर बैठते हो पर वचनों पर अमल नहीं करते तो कर्मों का बोझ आपको ढोना पड़ेगा। इसलिए वचनों को सुनकर उन पर अमल करो तो जन्मों-जन्मों के पाप कर्म कटते हैं और आप खुशियों से मालामाल हो सकते हैं।
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