नशे से जंग को छोड़ दी सरकारी नौकरी
साल 2015 में रखी हैल्पिंग हैण्ड फाऊंडेशन संस्था की नींव
सच कहूँ/राहुल पाल
असंध। महिलाओं की सोच सुन्दर होती है और वो दूसरों से थोड़ा अलग सोचती हंै। उनके मन में जज्बा होता है कुछ अलग कर दिखाने का, इसी बुलंद हौंसले व जुनुन के साथ वे आगे बढ़ती हंै ओर समाज को एक नई दिशा देने का काम करती हंै। समाज को आगें बढ़ाने मे महिलाओ की विशेष भागीदारी रहती हंै। महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र मे बहुत तेजी से आगे बढ़ रही हैं और मन मे केवल एक ही सपना संजोकर रखती है कि वो अच्छी पढ़ाई करके किसी उंचे पद पर कार्य करें लेकिन समाज मे ऐसी भी महिलाएं हैं जो हमारे समाज को खोखला कर रही सामाजिक बुराईंयो के खिलाफ इतनी दृढ़ता से आगे बढ़ती है कि अपनी नौकरी तक को इस्तीफा दे देती है। एक ऐसी ही मिसाल है असंध की रहने वाली महिला रीना चौधरी जोकि गृहीणी होने के साथ साथ समाज मे एक नई सोच को लेकर आगे बढ़ रही है। रीना चैधरी आज किसी भी परिचय की मोहताज नहीं है, हैल्पिंग हैण्ड फाऊंडेशन की अध्यक्ष रीना चौधरी आज अपनी सामाजिक संस्था के साथ समाज मे फैली सामाजिक बुराईंयों के खिलाफ उन्हे जड़ से खत्म करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने हैल्पिंग हैण्ड फाऊंडेशन संस्था की शुरूआत वर्ष 2015 में की जो कि आज केवल असंध में ही नहीं बल्कि हरियाणा के अन्य जिलों में भी सक्रिय है।
पिता का नशा छुड़वा उठा लिया समाज का बीड़ा
नशों के खिलाफ जागरूक करने का बीड़ा जो उन्होंने उठाया उसकी कहानी अनोखी है। रीना चैधरी ने बताया कि उनके पिता जी नशा करते थे, घर मे यदि कोई सदस्य नशा करने लग जाता है उस समय की जो स्थिति होती है उसी को देखते हुए उन्होंने मन मे ठान लिया था कि वो नशों के खिलाफ आवाज बनकर समाज मे उतरेगी। इसके लिए उन्होंने सर्वप्रथम आने पिता जी को इस बुरी लत को छोड़ने के लिए समझाया तो उनके पिता जी अपनी बेटी के इस आग्रह को समझा व तुरन्त अपनी इस बुरी आदत को छोड़ने के लिए तैयार हो गए।
…और बनता चला गया कारवां
रीना चौधरी के हौंसले व जज्बे को मजबूत होता देख लोग स्वयं उनसे जुड़ते चले गए व उनके इस सपने को साकार करने के इस अभियान मे उनका साथ देने लग गए। वे कहती हैं कि सामाजिक यातनाओं का उन्होंने डटकर मुकाबला किया जिसके परिणामस्वरूप आज एक अच्छा स्टैण्ड बन गया है जिसके बलबूते वो शोषित व वंचित महिलाओ की आवाज बनकर समाज में आगे बढ़ रही हंै। उन्होंने बताया कि उनके इस अभियान में समाज व लोगों ने रोकने के लिए तरह तरह के प्रयास किए लेकिन उनके साथ उनके पति इस अभियान मे मजबूती के साथ खड़े रहे जिससे उनको न केवल हिम्मत मिली बल्कि खुली आंखों से अपने सपने को साकार होते हुए देखा।
अपने पद की जिम्मेवारी स्वंय निभाएं महिलाएं, न की पति से
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हैल्पिंग हैण्ड फाऊंडेशन की अध्यक्ष रीना चैधरी ने महिलाओ के नाम अपने संदेश में कहा है कि महिलाएं स्वयं को कमजोर न समझें। यदि महिलाएं किसी भी पद को हासिल कर लेती हंै तो उस पद पर स्वयं कार्य करें न कि अपने पारिवारिक सदस्य से उसका प्रतिनिधित्व करवाएं। राजनीति या सामाजिक क्षेत्र मे जहां भी भागीदारी हैं महिलाएं अपने पद का इस्तेमाल स्वयं करें क्योंकि जब तक महिलाएं स्वयं ग्राऊंड पर आकर कार्य नहीं करेंगी, महिलाओं का कंधे से कंधा मिलाकर चलना एक ढकोसला है।
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