गुलजार के जन्मदिन 18 अगस्त के अवसर पर 

Gulzar

मुबई (एजेंसी)। मुशायरों और महफिलों से मिली शोहरत तथा कामयाबी ने कभी मोटर मैकेनिक का काम करने वाले गुलजार ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा के जरिये सिनेप्रेमियों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी है। पंजाब. अब पाकिस्तान के झेलम जिले के एक छोटे से कस्बे दीना में कालरा अरोरा सिख परिवार में 18 अगस्त 1936 को जन्मे संपूर्ण सिंह कालरा गुलजार को स्कूल के दिनों से ही शेरो-शायरी और वाद्य संगीत का शौक था। कॉलेज के दिनों में उनका यह शौक परवान चढ़ने लगा और वह अक्सर मशहूर सितार वादक रविशंकर और सरोद वादक अली अकबर खान के कार्यक्रमों में जाया करते थे।

भारत विभाजन के बाद गुलजार का परिवार अमृतसर में बस गया लेकिन गुलजार ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए मुंबई का रूख किया और वर्ली में एक गैरेज में कार मैकैनिक का काम करने लगे। गैरेज के पास ही एक बुकस्टोर वाला था जो आठ आने के किराए पर दो किताबें पढ़ने को देता था। गुलजार को वहीं पढ़ने का चस्का सा लग गया था। एक दिन फिल्मकार विमल रॉय की कार खराब हो गई। संयोग से विमल रॉय उसी गैरेज पर पहुंचे गए जहां गुलजार काम किया करते थे। विमल रॉय ने गैरेज पर गुलजार और उनकी किताबों को देखा। पूछा कौन पढ़ता है यह सब? गुलजार ने कहा, मैं! विमल रॉय ने गुलजार को अपना पता देते हुए अगले दिन मिलने को बुलाया। गुलजार जब विमल रॉय के दफ़्तर गये तो उन्होंने कहा कि अब कभी गैरेज में मत जाना।

 

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।