…तो टूट रहा है अहीरवाल के राजा का गुरूर
-भाषण के दौरान इंद्रजीत में नहीं दिखा खास जोश
-कार्यकर्ताओंं को इमोशनल तरीके से जोड़ने का किया प्रयास
-भीड़ कम देख राव इंद्रजीत ने नहीं निकाला नामांकन जुलूस
गुरुग्राम सच कहूँ/संजय मेहरा । अहीरवाल में राजघराने से सम्बंध रखने वाले गुड़गांव के सांसद राव इंद्रजीत सिंह की लोकप्रियता कम हो रही है। जो आंख बंद करके उन्हें समर्थन देते थे, अब शायद उनकी आंखे खुल रही हैं। अहीरवाल में एक छत्र राज करने वाले इस नेता को जनता राजा मानती रही है। अब ऐसा लग रहा है कि अहीरवाल के इस राजा का गुरूर टूट रहा है। यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि राव इंद्रजीत सिंह की नामांकन सभा में बहुत ही कम संख्या में पहुुंची भीड़ से साबित हो रही है। किसी भी नेता द्वारा चुनाव के समय नामांकन में अपनी ताकत दिखाने का बढ़िया मौका होता है और चुनाव लड़ने वाले नेता ऐसा करते भी हैं। क्योंकि उस भीड़ से उनके पक्ष में एक माहौल तैयार होता है।
उस माहौल से ही अंदाजा लग जाता है कि उस नेता की कितनी लोकप्रियता है और जनता का उन्हें कितना समर्थन मिलने वाला है। जिस तरह से यहां व्यापार सदन में इंद्रजीत सिंह के नामांकन कार्यक्रम में जनता ने दूरी बनायी, उससे साफ है कि कहीं न कहीं लोगों में इंद्रजीत के प्रति भी नाराजगी है। क्योंकि वे लगातार चार साल तक जनता से दूर रहे और करीब एक साल से सक्रिय हुए। उन पर आरोप लगते रहे कि लोगों से मुलाकात तक नहीं करते थे।
नहीं भरा पंडाल तो हटवा दी कुर्सियां
सुबह 10 बजे का यहां सभा का समय दिया गया था और साढ़े 11 बजे तक भी पंडाल आधा नहीं भर पाया था। उसके बाद तो लोगों के पहुंचने की उम्मीद भी नहीं थी। खैर, साढ़े 11 बजे तक बाहर के क्षेत्रों से भी लोग आ चुके थे। पंडाल लगभग आधा ही भर पाया। इससे पहले करीब 11 बजे यहां पीछे की तरफ से कुर्सियों को हटवाना शुरू कर दिया गया, ताकि यह नजर न आये कि कुर्सियां खाली रह गयी। हालांकि मीडिया की नजर से यह सब बच नहीं पाया। एक दिन पूर्व यानी गुरुवार को कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन अजय यादव द्वारा की गई नामांकन सभा पर नजर डाली जाये तो उनकी भीड़ राव नरबीर सिंह की भीड़ से ज्यादा दिखाई दी।
लोग बोले, राव साहब को इस बार लगाना होगा ज्यादा जोर
भीड़ में कुछ लोगों को टटोला गया तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इस बार राव साहब को ज्यादा जोर लगाना होगा। क्योंकि हालात काफी बदले हुए हैं। इस तरह की बातें और भी कई लोगों के माध्यम से सामने आयी। 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो उस चुनाव में उनके धुर विरोधी राव नरबीर सिंह हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) से चुनाव मैदान में थे। तब तो उनका खिलाफत करना राजनीतिक रूप से जायज था।
लेकिन अब वे बीजेपी में ही हैं और चर्चा है कि राव नरबीर कभी नहीं चाहेंगे कि राव इंद्रजीत सिंह फिर से जीतकर सांसद बने। इसलिए वे उनकी जीत से ज्यादा हार में भूमिका निभायेंगे। राव नरबीर सिंह पूर्व में जनता के बीच यह कह चुके हैं कि बीजेपी को अगर वोट न देना चाहो तो कांग्रेस को दे देना। उनका इशारा साफ था कि उम्मीदवार इंद्रजीत सिंह ही होंगे और उनको जीताना नहीं है।
मंच पर दिखे इंद्रजीत सिंह के विरोधी नरबीर सिंह
नामांकन सभा में मंच पर इंद्रजीत सिंह के विरोधी नरबीर सिंह भी मौजूद रहे। इंद्रजीत सिंह ने यहां कहा कि बीजेपी एक है। अगर कोई विभाजन करने का काम करता है तो वह पत्रकारों के माध्यम से करता है। हम सब एक हैं। मंच पर हैं। उनका यह इशारा अपने और राव नरबीर सिंह के संबंधों की ओर था। खैर, मंच पर एक होने से एकता हो जाये यह कोई पैमाना नहीं है। जब तक दिलों से दूरियां कम नहीं होंगी, तब एक होने की सब बातें बेमानी ही कही जा सकती हैं।
नामांकन सभा में इंद्रजीत सिंह का पहुंचना और फिर बैठने से लेकर भाषण देने तक बॉडी लंैगवेज पर नजर डाली गयी तो साफ नजर आया कि तनाव में वे भी हैं। इस बात जीत दर्ज कर पाना उनके लिए बड़ी चुनौती है।
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