सोयाबीन (Soybean) में विटामिन ए, बी, सी, डी, ई पाया जाता है। यह अत्यन्त बलकारक, मस्तिष्क की निर्बलता व पुंसत्वहीनता को दूर करने वाला होता है। सोयाबीन को अंकुरित करके प्रतिदिन सुबह लगभग दो तोला खाने से शरीर को बल और कान्ति देने वाला होता है। बहुमूत्र के रोगियों के लिए और मधुमेह के रोगी के लिए यह अत्यन्त उपयोगी और हितकारी होता है। कुछ लोग सोयाबीन को गेहूं के साथ मिलाकर, पीसकर इनके आटे की रोटी या पूड़ी बनाकर खाते हैं अथवा सोयाबीन के आटे की रोटी या इसकी दाल बनाकर खाते हैं। कुछ लोग आलू के साथ इसको मिलाकर रसेदार सब्जी बनाकर खाते हैं। इनसे मिलने वाला प्रोटीन अंडे और मांस से भी अधिक पुष्टकर होता है।
सोयाबीन से मिलने वाली प्रोटीन में जो गुण हैं, वे अन्य किसी में नहीं हैं। यह अत्यन्त श्रेष्ठ गुणकारक विटामिन युक्त बलकारक अन्न है। इसका प्रयोग अन्य अन्नों की तरह अधिक मात्र में नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह स्वल्प मात्र में ही वे सब उत्तम पदार्थ शरीर को देता है, जो अन्य अन्नों के अधिक सेवन से भी नहीं मिलते। इससे आप दूध भी बनाकर सेवन कर सकते हैं। एक कटोरी सोयाबीन को लेकर अच्छी तरह से धोकर रात में भिगो दें। सुबह इसको मलकर ऊपर से छिलका उतार कर बाकी बचे सोयाबीन को बारीक पीस कर इसमें लगभग तीन कटोरी खौलता हुआ पानी और मीठा सोडा मिलाकर खूब अच्छी तरह से मिला दें और फिर इसको बारीक छलनी से छान कर सेवन करने से शरीर पुष्ट हो जाता है।
इससे दही अथवा पनीर भी इस विधि से बनाया जाता है। बाजार में उपलब्ध सोयाबीन का आटा निश्चित रूप से ठीक नहीं रहता, क्योंकि बाजार में मिलने वाला आटा यदि कुछ दिन पुराना होगा तो इसमें कसैलापन, स्वाद और पौष्टिकता नहीं मिलेगी। यदि सोयाबीन का आटा भी घर पर तैयार कर लें तो बेहतर होगा। सर्वप्रथम आप सोयाबीन को अच्छी तरह से साफ करके उसे दो-तीन बार धोकर रात भर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह भीगी हुई सोयाबीन को हाथ से रगड़कर छिलके उतार दें। बाकी बचे सोयाबीन को कुकर में डालकर एक सीटी बजने तक उबाल लें। फिर कुकर को उतार कर उसे ठंडा होने देना चाहिए। उबली हुई सोयाबीन को धूप में सूखने के लिए डाल दें। जब यह सूख जाए तो इसको पिसवा लें। वैसे बेहतर तो यह है कि आवश्यकतानुसार उक्त विधि से उबालकर, सुखाकर इनको मिक्सी में पीस लें।
सोयाबीन के आटे में जुड़ने की शक्ति बिलकुल नहीं होती, इसलिए इनको दूसरे आटे, बेसन अथवा मैदे में मिलाना पड़ता है। जितनी सामग्री तैयार करना हो, उतना ही सोयाबीन का आटा इस्तेमाल करें तो ज्यादा बेहतर होगा। आमतौर पर आटे, बेसन अथवा मैदे की तीन कटोरियों के साथ एक कटोरी सोयाबीन का आटा मिलाया जा सकता है। सोयाबीन के आटे में मैदा, मूंग, गेहूं व बेसन के आटे में मिलाकर सिवई, पकौड़ी, कढ़ी, मठरी आदि नमकीन व्यंजनों और मिठाई में भी मिलाकर सेवन करने से भी आपको ताकत मिलेगी।
इन्दीवर मिश्र
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