महंगाई ने आम आदमी के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। जनवरी में महंगाई की दर 7.59 फीसदी दर्ज की गई है। दिसंबर 2019 में यह 7.35 फीसदी स्तर पर रही थी। बड़ी हैरानी की बात है कि दिसंबर में ही इस बात का अनुमान लग गया था कि जनवरी में महंगाई 8 फीसदी तक पहुंच सकती है। इसके बावजूद सरकारी स्तर पर महंगाई को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिसका परिणाम है कि महंगाई लगातार बढ़ती ही जा रही है। (Solution of inflation)
आर्थिक विशेषज्ञों की ओर से सलाह देने व सावधान करने के बावजूूद हालातों में कोई सुधार न होना यह चिंतनीय है। समस्या आ जाती है लेकिन लम्बे समय तक समस्या का हल न होना, बड़ा मुद्दा है। आमजन में भी यह धारणा बनने लगी है कि महंगाई का कोई हल नहीं। बेरोजगारी व आर्थिक सुस्ती की स्थिति में महंगाई की चुभन और भी तीखी हो जाती है। महंगाई के आंकड़ों को झुठलाया नहीं जा सकता क्योंकि यह आंकड़े सरकार का अपना विभाग (केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय) ही जारी करता है। अगर देखा जाए तो विगत वर्ष नवंबर में सावधान होने की सख्त जरूरत थी जब महंगाई 5.54 फीसदी थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने 4 फीसदी दर से ऊपर महंगाई तय की हुई है। मौजूदा हालातों में यह तय आंकड़े को पार कर दो गुणा के करीब के जा पहुंची है। सही में विकास की परिभाषा तब ही सम्पूर्ण होती है जब आवश्यक वस्तुएं आम आदमी की पहुंच में होती हैं। नि:संदेह जनवरी में प्याज सहित अन्य सब्जियों के भावों में कमी आई है लेकिन दालों व अन्य अनाज की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। (Solution of inflation)
महंगाई को रोकने के लिए केवल तुरंत प्रभाव से लिए निर्णय ही काफी नहीं होते बल्कि आर्थिक नीतियों व कार्यक्रमों को लोकहितैषी बनाने की बहुत ही आवश्यकता है। अभी तक सरकारों के अधिकतर निर्णय विपक्ष में ही रहे हैं। एक तरफ लोक भलाई की योजनाएं चलाई जा रही हैं वहीं दूसरी तरफ किसी न किसी तरीके से जनता पर बोझ डाला जा रहा है। महंगाई को रोकने के लिए विभिन्न मंत्रालयों की सांझी समिति गठित करने की सख्त आवश्यकता है क्योंकि महंगाई बढ़ने का कारण किसी विभाग से संबंधित नहीं है। सभी मंत्रालयों को संतुलित नीतियां अपनाकर पूरी वचनबद्धता के साथ काम करना होगा।
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