देशी दवाइयां बनाने में होता है इसका प्रयोग || Slehri Medicine
रामगोपाल, लाडवा। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी लाडवा अनाजमंडी आजकल सलैहरी औषधि (Slehri Medicine) की खुशबू से महकी हुई है। हरियाणा और पंजाब की सीमा कैथल और पटियाला के किसानों द्वारा इस औषधि की फसल तैयार की जाती है। अब इस फसल की बिजाई कुरुक्षेत्र जिले में भी कुछ किसानों द्वारा की जा रही है। केवल लाडवा और अमृतसर की अनाजमंडी मे सलैहरी औषधि का व्यापार होता है। किसानों द्वारा बिक्री के लिए सलैहरी औषधि लाडवा अनाजमंडी मे लाई जाती है। इसलिए लाडवा अनाज मंडी एशिया की प्रमुख अनाजमंडी में से एक है। लाडवा मंडी में इस औषधि फसल की हर वर्ष लगभग 15,000 से 20,000 बोरी किसानों द्वारा बिक्री के लिए लाई जाती है।
अभी तक मंडी में लगभग 500 से 1000 बोरी सलैहरी की आवक हुई है। इस फसल को व्यापारियों द्वारा 7200 रुपए से लेकर 8500 रुपए प्रति क्विंटल तक खरीदा जा रहा है। व्यापारियों ने बताया कि इस फसल का एशिया देशों में निर्यात किया जाता है। इस औषधि फसल का तेल निकाल कर देशी दवाइयां बनाने में प्रयोग किया जाता है और खाद्य सामग्री को लंबे समय तक ठीक रखने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
कैसी होती है सलैहरी औषधि || Slehri Medicine
सलैहरी औषधि हरे और भूरे रंग की खुशबूदार औषधि है और यह देखने में अजवायन जैसी लगती है। यह देसी दवाइयां बनाने और खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए प्रयुक्त होती है। कुछ लोग इसे हड्डियों और जोड़ों के दर्द में दवाई के रूप में प्रयोग करते हैं।
मटर के बीज और सलैहरी की एक साथ होती है बिजाई
इस फसल को लेकर आए किसान अमरीक सिंह, करनैल सिंह, अमरजीत सिंह, निदान सिंह, कर्मवीर, जयपाल आदि ने बताया कि इसकी बिजाई अक्टूबर नवंबर में की जाती है। जिसमें मटर सब्जी के बीज और सलैहरी के बीज दोनों फसलों की एक साथ बिजाई की जाती है। इन फसलों की निकासी का समय 6 महीने का है। मटर सब्जी की फसल 3 महीने मे तैयार हो जाती है। आगे 3 महीने के बाद सलैहरी औषधि की फसल तैयार हो जाती हैं। इस फसल की 6 से 8 क्विंटल प्रति एकड़ निकासी होती है। जिसका बाजार भाव 7200 से 8500 रुपए प्रति क्विंटल है और यह फसल लगभग 50000 से 60000 रूपए पर प्रति एकड़ तक बिक जाती है।