नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। मानसून सत्र का पहला सप्ताह विपक्षी पार्टियों के हंगामे की भेंट चढ़ चुका है। हालांकि अभी भी उनके तेवर तीखे हैं। ऐसे में सरकार चिंतित है, दरअसल उसे चिंता है उन छह महत्वपूर्ण अध्यादेशों की जिन्हें इस सत्र में बिल के तौर पर पेश करके कानूनी रूप दिया जाना है। अगर इस सत्र में विपक्ष के साथ सरकार की दाल न गली तो ये अध्यादेश वैधता हीन हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि इस बार सरकार के एजेंडे में 29 बिल हैं। इनमें सरकार को छह अध्यादेशों को बिल के रूप में पेश करना है। वहीं दो अनुदान मांगों पर भी संसद से मंजूरी दिलवानी है।
अध्यादेश से जुड़ा महज एक रक्षा सेवा बिल ही लोकसभा में पेश हो पाया है। बाकी के अध्यादेश से जुड़े पांच बिल दिवाला और दिवालियापन संहिता संशोधन बिल, इंडियन मेडिसिन सेंट्रल काउंसिल संशोधन बिल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल एमेंडमेंट बिल और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग बिल, ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रेशनलाइजेशन एंड कंडीशंस आॅफ सर्विस) बिल के साथ दो अनुदान मांगों को सरकार पेश भी नहीं कर पाई है।
संख्या नहीं हंगामा है चिंता
उच्च सदन में सरकार के पास बहुमत नहीं है, मगर यह चिंता का विषय नहीं है। सरकार की चिंता हंगामा है। राज्यसभा में इस समय 238 सदस्य हैं। भाजपा की अगुवाई वाले राजग को इस समय 114 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। जरूरत पड़ने पर पार्टी को बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस का प्रत्यक्ष या परोक्ष साथ मिल सकता है।
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