गुरुग्राम लोकसभा से 6 पार्टियों के हैं 10 संभावित उम्मीदवार
गुरुग्राम सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा। वैसे तो किसी भी राजनीतिक दल ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। फिर भी एकाध पार्टी का उम्मीदवार लगभग तय माना जा रहा है। बात करें गुरुग्राम लोकसभा की तो यहां पर मुख्य पांच पार्टियों के नौ संभावित उम्मीदवारों के नाम सामने आये हैं। अब देखना यह है कि पार्टियां किस नेता पर अपना दांव लगाती हैं। गुरुग्राम, रेवाड़ी व नूंह (मेवात), इन तीन जिलों को मिलाकर गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र बना है। तीनों जिलों में नौ विधानसभा क्षेत्र हैं। सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र गुरुग्राम का बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र है।
चुनाव में पार्टियों की यहां पर अधिक नजर रहती है। इस बार के लोकसभा के चुनावी मैदान में फिलहाल किसी पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। क्योंकि यहां के चुनाव में अभी देरी है। हरियाणा में 12 मई को चुनाव होने प्रस्तावित हैं। इसलिए इससे पहले के चुनावों पर पार्टियों का फोकस है। बात करें यहां के संभावित उम्मीदवारों की तो करीब एक दर्जन नेताओं के नाम पार्टी कार्यकतार्ओं के बीच घूम रहे हैं। मुख्य रूप से यहां पर छह पार्टियां अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेंगी। इनमें भारबीजेपी, कांग्रेस, इनेलो, आप, जजपा और बसपा शामिल हैं। पूर्व में भी इन्हीं पार्टियों ने अपने प्रत्याशी यहां मैदान में उतारे थे।
बीजेपी से इंद्रजीत का नाम लगभग तय
बीजेपी से यहां वर्तमान में सांसद राव इंद्रजीत सिंह का नाम लगभग तय है। उनके सामने कोई ऐसा उम्मीदवार पार्टी को भी नजर नहीं आ रहा, जो कि यहां अच्छा प्रदर्शन कर सके। लगातार दो बार वे यहां से सांसद हैं और अब तीसरी बार किस्मत आजमाने को तैयार हैं। इंद्रजीत सिंह लगातार दो योजनाओं से गुडगांव लोस से सासंद हैं। पहले कांग्रेस और फिर बीजेपी की टिकट पर उन्होंने चुनाव जीता। हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के बेटे राव इंद्रजीत सिंह की राजनीतिक जमीन को खिसकाना और उनके वोट बैंक में सेंध लगाना आसान नहीं है। बेशक उन पर चार साल तक क्षेत्र की उपेक्षा के आरोप लगते हों, लेकिन पांचवे साल में वे जनता के बीच इस तरह से सक्रिय हो जाते हैं कि उनका मन जीतने में कामयाब हो जाते हैं।
कांग्रेस में सबसे मजबूत कैप्टन अजय यादव
कांग्रेस की ओर से मैदान में तीन दावेदार हरियाणा में पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव, पूर्व मंत्री राव दान सिंह, बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए धर्मपाल राठी हैं। सभी पार्टी में टिकट पाने को मजबूती से खड़े हैं। कैप्टन अजय यादव अपनी टिकट तय मानकर चल रहे हैं। कैप्टन अजय यादव रेवाड़ी से लगातार पांच बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन मोदी लहर में वे 2014 का चुनाव हार गये थे।
वैसे उनकी जनता पर अच्छी पकड़ है। कांग्रेस सरकार के ही पूर्व मंत्री राव दान सिंह की बात करें तो उनकी अपने हल्के में तो पकड़ है, लेकिन लोकसभा क्षेत्र में उनकी पकड़ नहीं है। ऐसे में कांग्रेस को काफी सोच-समझकर निर्णय लेना होगा।
जजपा के पास नामी नेता नहीं
जजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने को इनेलो सरकार में पूर्व मंत्री मोहम्मद इलियास की दावेदारी है। सूत्रों के मुताबिक जजपा की टिकट पर लोस चुनाव लड़ने को मुकेश शर्मा पहलवान की भी बात चल रही है। बताया जा रहा है कि वह विधानसभा की टिकट मांग रहे हैं, लेकिन पार्टी उन्हें लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। मुकेश शर्मा का लेकर बहुजन समाज पार्टी भी मन बना रही है। क्योंकि बसपा के पास अभी कोई मजबूत व नामी नेता नहीं है, जिसे टिकट दिया जा सके। जजपा, बसपा दोनों पार्टियां मुकेश शर्मा से संपर्क साध रही हैं।
आम आदमी पार्टी से अम्मू हो सकते हैं प्रत्याशी
बात करें आम आदमी पार्टी की तो यहां पर दावेदार तो कोई है नहीं, फिर भी चुनाव लड़वाने को पार्टी लगी है। आप में जिलाध्यक्ष महेश यादव, प्रवक्ता आरएस राठी पर चुनाव लड़ने को मनाया जा रहा है। जबकि ये दोनों ही नेता लोकसभा का नहीं बल्कि विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। आप की नजरों में इन दोनों नेताओं के अलावा बीजेपी नेता सूरजपाल अम्मू भी हैं, जिसे पार्टी चुनाव मैदान में उतार सकती है। अतिविश्वस्त सूत्रों के अनुसार आप की ओर से सूरजपाल अम्मू को टिकट देने में प्राथमिकता दी जा रही है।
उन्हें इस बात के लिए राजी भी किया जा रहा है कि वे या तो गुरुग्राम से चुनाव लड़ लें। अगर यहां से नहीं तो फिर राजस्थान में किसी सीट से चुनाव लड़ लें। बता दें कि सूरजपाल अम्मू की राजपूतों में काफी पैठ है। फिल्म पद्यमावती के विरोध में जिस तरह से उन्होंने दबंगई से अपनी ही बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तक को कठघरे में खड़ा किया, उससे उनका राजपूतों में कद काफी ऊंचा और मजबूत हुआ। इसी नजरिये से आप उन्हें देख रही है और चुनाव लड़वाना चाहती है और लगातार उनके सम्पर्क में भी है।
इनेलो में मजबूत नेता हैं जाकिर हुसैन
इनेलो की ओर से यहां पर मुस्लिम नेता जाकिर हुसैन पर ही दांव खेला जा सकता है। क्योंकि वे मजबूत नेता हैं। बसपा की टिकट पर जाकिर हुसैन ने 2009 का लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी राव इंद्रजीत से वे हार गए ये थे। इसके बाद 2014 के चुनाव से पूर्व वे बसपा छोड़ इनेलो में शामिल हो गए। इनेलो ने भी उन्हें गुडगांव लोकसभा से टिकट देकर कांग्रेस से बीजेपी में आये राव इंद्रजीत सिंह की टक्कर में ही खड़ा किया। इस बार भी वे चुनाव हार गये। बेशक वे दोनों चुनाव हारे, लेकिन उनका वोट प्रतिशत काफी बढ़ा। 2009 में जहां उन्हें 1,93,652 लाख वोट मिले थे, वहीं 2014 में 3,70,058 लाख वोट मिले।
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