नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। शिवसेना के विनायक राऊत ने कहा कि महंगाई ने देश की अधिकांश जनता परेशान है। उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल 13 निजी बीमा कंपनियों को हटा कर एक सरकारी बीमा कंपनी को जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि किसानों को बीमा योजना का लाभ मिल सके। उन्होंने भारत संचार निगम लिमिटेड की अनदेखी किये जाने और जियो को बढावा दिये जाने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की एक लाख 40 हजार 987 करोड़ रुपए की वसूली पर खुश है लेकिन महाराष्ट्र की 33 हजार करोड़ रुपए की बकाया राशि नहीं दे रही है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के डॉ. अमोल कोल्हे ने कहा कि कोरोना की महामारी ने बताया है कि स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा एवं अर्थव्यवस्था दोनों पर इस महामारी का कुप्रभाव पड़ा है। साढ़े छह करोड़ लोग गरीब हो गये, पांच करोड़ बेरोजगार हैं, 54 करोड़ लोगों की आमदनी घटी है और 60 लाख से अधिक लघु उद्यम बंद हो गये हैं। देश के 142 लोगों के हाथों में 23 लाख 56 करोड़ रुपए की दौलत सिमट आयी है।
देश को मानसिक रूप से कमजोर किया जा रहा है
शिक्षा एवं व्यक्तित्व विकास के दो साल नष्ट हो गये हैं। डिजीटल डिवाइड के कारण वंचित समुदायों के बच्चे कैसे डिजीटल शिक्षा पाएंगे। डॉ. कोल्हे ने पत्रकारिता के क्षरण पर चिंता जतायी और कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को निष्पक्षता से काम करने की आजादी नहीं है। विश्व में अभिव्यक्ति की आजादी के मामले में 180 देशों में से भारत 142वें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि देश को मानसिक रूप से कमजोर किया जा रहा है और उनके मन में नफरत एवं धार्मिक उन्माद का जहर घोला जा रहा है।
सरकार को जनता के सामने पश्चाताप करना चाहिए: बसपा
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के रीतेश पांडेय ने कहा कि देश की जनता ने कोरोना की विभीषिका में बहुत से परिजनों को खोया है। सरकार को जनता के सामने पश्चाताप, विनम्रता एवं आत्मनिरीक्षण की भावना के साथ पेश आना चाहिए। लेकिन सरकार इसके उलट व्यवहार कर रही है। उन्होंने किसान आंदोलन का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार ने विरोध की आवाज को बल और अहम से दबाने का काम किया है।
कृषि कानून वापस ले लिये लेकिन आंदोलन में मारे गये 700 किसानों के प्रति संवेदना का एक शब्द नहीं कहा। किसानों की आय दोगुनी करनी थी लेकिन कृषि लागत दोगुनी कर दी। इसी प्रकार से मनरेगा में कटौती हो रही है। पांडेय ने कहा कि चावल एवं गेहूं देकर भुखमरी नहीं खत्म होगी। इससे वोट भले ही मिल जाए लेकिन स्वस्थ एवं पोषित नागरिक नहीं बन सकता है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह लोगों से बात करें और योजनाओं को जमीनी यथार्थ के आधार पर बनाये।