सीता वाटिका देखकर हजारों वर्ष पूर्व रामयुग की घटना आज भी जीवंत दिखाई पड़ती है?
मेरी रामयुग में अटूट आस्था है। घटना सच थी इसमें कोई संदेह नहीं। यह वही जगह है जो राम और रावण के बीच युद्व की वजह बनीं। रामायण के मुताबिक आज से करीब पांच हजार साल पहले श्रीलंका के इसी जिले नुवराएलिया में रावण सीता मईया को अपहरण करके लाया था। श्रीलंका रामायण रिसर्च सेंटर के मुताबिक उस वक्त यह इलाका घंने जंगलों और पहाड़ों से घिरा था। यहां आसानी से कोई नहीं पहुंच सकता था। दैवीय शक्तियों (वैज्ञानिक सुविधाओं) के बल पर ही यहां पहुंचा जा सकता था जो उस वक्त रावण के पास थी।
सीता वाटिका का स्वरूप हजारों साल पहले कैसा रहा होगा?
स्वरूप को लेकर हम कल्पना मात्र कर सकते हैं। इस जगह की खोज ही रामयुग के बीत जाने के हजारों साल बाद हुई। रिसर्च सेंटर के मुताबिक तीन-चार सौ साल पहले तक भी यहां न सड़कें थी और न ही पहुंचने के कोई दूसरे साधन और तरीके। लेकिन विगत कुछ सालों से श्रीलंका सरकार ने अशोक वाटिका को नया दर्शनीय स्थान बना दिया है। सुंदरता के लिए स्थानीय प्रशासन ने करोड़ों रूपए खर्च कर पूरे क्षेत्र का आधुनिकरण किया है। मंदिर से लेकर पूरे परिसर को संगमरमर से सुसज्जित कर दिया है।
यह जगह अब नुवराएलिया जिले के नाम से जानी जाती है?
जी हां। दरअसल ये नाम स्थानीय लोगों के लिए है। संसार के लिए यह जगह सिर्फ सीता वाटिका के नाम से ही जानी जाती है। सीता वाटिका यानी नुवराएलिया जिला श्रीलंका का हिल स्टेशन माना जाता है। वाटिका की कुछ दूरी पर एक बड़ी सी झील है जिसका पानी सुख नीला है। यह स्थान बौद्व की प्रसिद्व स्थली कैंडी से सत्तर-अस्सी किलोमीटर दूर है। श्रीलंका सरकार सीता के वजूद के अलावा पर्यटक स्थल को ज्यादा तवज्जों देती है। क्योंकि इस क्षेत्र से सरकार को सबसे ज्यादा आमदनी होती है।
श्रीलंका इस जगह को पर्यटन के रूप में इस्तेमाल करती है?
ऐसा कह सकते हैं आप! सीता वाटिका पहुंचने वाले पर्यटकों से श्रीलंका को काफी आमदनी होती है। इसी कारण यहां पहुंचने के लिए सरकार ने पर्यटकों के लिए विशेष पब्लिक यातायात साधन मुहैया कराए हुए हैं। सामान्य किराए पर बसें और कारें चैबीस घंटे उपलब्ध रहती हैं। कैंडी से जैसे ही आप सीता वाटिका के लिए चलोगे तो आपको पूरे रास्ते में हरे-भरे चाय के बागान दिखाई देंगे। चारो तरफ बहता नीला पानी और बड़े-बड़े पर्वत मन मोहने का काम करते हैं। कुछ साल पहले अशोक वाटिका में राम-सीता का भव्य मंदिर भी बनाया गया है।
यहां हनुमान के पद्चिन्ह के होने की भी बात कही जाती है?
जी हां। यहां हनुमान के पद्चिन्हों के निशान आज भी मौजूद हैं। सीता वाटिका के बीचों बीच हनुमान के पद्चिन्ह मौजूद हैं। जब हनुमान सीता मईया को जंगलों में खोजते-खोजते पहली बार वाटिका में आए थे तो उनका पहला कदम जिस जगह पर पड़ा था वहां बड़ा सा गड्ढा बन गया था।
यहां जो भी पर्यटक आते होंगे, आपसे रामयुग काल के संबंध में ही सवाल करते होंगे?
देखिए, यहां भारत के अलावा दूसरे देशों से पहुंचने वाले पर्यटकों में सीता वाटिका के इतिहास के संबंध में जानने की अभिरूचि ज्यादा रहती है। हालांकि उनके सवालों का जबाव देने के हमारे व्यवस्थापकों ने पूरे इंतजाम किए हुए हैं। रामायण व पुराने अभिलेखों के माध्यम से हम विस्तार से उनको बताते हैं। सीता को हरण के बाद रावण कब-कब वाटिका में आता था, सुरक्षा में कितनी दासियां हुआ करती थीं, पहरेदारी कैसी होती थी, ऐसी तमाम जानकारियां हम तालीनता से उनको समझाते हैं। जो लोग रामायणकाल को काल्पनिक मानते हैं उनके लिए सीता वाटिका सबूत है। रामायण की सभी बातें सच हैं। श्रीलंका रामायण रिसर्च सेंटर ने अपने दशकों की खोज के बाद रामयुग के अनझुए किस्सों का पता कर लोगों के भ्रम को तोड़ने का काम किया है।
रमेश ठाकुर
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