जीते को चांदी, हारने वाले को सोना

Mastana Balochistani - Sach Kahoon

सन् 1956, नोहर, हनुमानगढ़ (राजस्थान)। बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज नोहर (राजस्थान) में सेठ दुली चंद के घर सत्संग फरमाने के बाद गांव ननेऊ जिला हनुमानगढ़ पहुंचे। वहीं साध-संगत ने शहनशाह जी का भव्य स्वागत किया। पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज की ओर से बनाई गई सेवादारों की टीम भी वहीं पहुंची हुई थी। टीम के सदस्यों की संख्या 12 थी। वह दिन-रात साध-संगत की सेवा के लिए उपस्थित रहते थे। शहनशाह जी ने वहां रात के समय सत्संग फरमाया। जब नाम अभिलाषी जीवों को नाम देने लगे तो पूजनीय मस्ताना जी ने एक आदमी को अंगुली के ईशारे के साथ खड़ा कर लिया व उससे पूछा कि आपने मांस खाया है व शराब पी है। इसलिए बाहर चले जाओ। यह वचन सुनकर वह व्यक्ति शर्मिंदा होकर बाहर चला गया।

बाद में श्रद्धालुओं ने बताया कि असल में वह अभी-अभी मांस खाकर व शराब पीकर आया था। नए जीवों को नाम शब्द देने उपरांत पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने वहां कुश्ती करवाई। नोहर के सेठ दुलीचंद की फूलचंद सेठ के साथ कुश्ती करवाई गई। जब दोनों ने कपड़े उतारे तो साध-संगत हंसने लगी क्योंकि दोनों के पेट बहुत ही बाहर की तरफ निकले हुए थे। पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने जीतने वाले को चांदी व हारने वाले को सोने की मोहरें बख्शी और वचन फरमाए,‘‘भाई, इसने अपनी ताकत के साथ कुश्ती खेली है इसलिए इसे सोना व जीतने वाले को चांदी दी है। आप भी अपने मन के साथ मुकाबला करो तो सतगुरू आपको ईनाम देगा।’’ इसके बाद शहनशाह जी वहां से गांव लालपुरा की तरफ रवाना हो गए।

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