तीन मरीज मिले तो ग्रामीणों ने खुद के प्रयासों से शुरू किया कोविड सेंटर
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एक दर्जन से ज्यादा गाँवों के लोग मिलकर कर रहे संचालन
झज्जर (सच कहूँ न्यूज)। ‘मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल की ओर, लोग आते ही गए और कारवां बनता गया।’’ यह कहानी है झज्जर के उस गांव सिलानी की, जहां तीन मरीजों को कोरोना हुआ तो ग्रामीणों ने गांव में खुद ही अपने प्रयासों से कोविड सेंटर बना डाला। मदद मिली स्थानीय चिकित्सकों और गांव के साथ-साथ क्षेत्र के अन्य गांवों के ग्रामीणों की।
बता दें कि कोविड के दूसरे चरण के शुरूआती दौर में जिस समय पूरे देश में ऑक्सीजन व वेंटीलेटर को लेकर घोर संकट था, उसी दौरान ही गांव में तीन मरीज कोविड से बीमार पड़ गए। लेकिन उन दिनों ऑक्सीजन व वेंटीलेटर की काफी विकराल समस्या थी। लेकिन सिलानी गांव के पीएचसी में कार्यरत डॉ. सुमित चाहार ने इस बीमारी को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया।
यहां उन्होंने उसी दौरान ग्रामीणों से सम्पर्क किया और देखते ही देखते गांव के सरकारी स्कूली में कोविड सेंटर शुरू कर दिया गया। उसी दौरान ही पड़ोस के गांवों के ग्रामीणों को भी जब इस बात का पता चला तो वह भी मदद करने में पीछे नहीं रहे। देखते ही देखते क्षेत्र के एक दर्जन से भी ज्यादा गांवों के लोगों के मदद के लिए हाथ उठे और उन्होंने यहां ऑक्सीजन व अन्य सामान की मदद पहुंचाना शुरू कर दिया।
बाद में जब ग्रामीणों की इस पहल की सूचना स्वास्थ्य विभाग को मिली तो विभाग ने भी अपनी ओर से इंतजामात करते हुए इस कोविड सेंटर को चलाने में अपना भरपूर सहयोग दिया। पीएचसी में ही कार्यरत डॉ. पवन यादव, डॉ. उमंग सैनी व कोविड कार्यक्रम से जुड़े डॉ. विकास द्वारा अपने अदम्य साहस के बल पर कोविड सेंटर में किया गया सहयोग एक तरह से दूसरे लोगों के लिए भी प्ररेणास्त्रोत बन गया है।
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