डेरा सच्चा सौदा के दूसरे महा शहीद हैं श्याम सुंदर इन्सां Shyam Sunder: Martyr Who Fought Against Tyranny
श्याम सुंदर इन्सां डेरा सच्चा सौदा के दूसरे महा शहीद हैं। जिन्होंने सांप्रदायिक ताकतों के विरुद्ध तथा धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। प्रेमी श्याम सुंदर इन्सां उर्फ पप्पी का जन्म पिता प्यारे लाल के घर माता मूर्ति देवी की कोख से 30 अगस्त 1971 को परसराम नगर भटिंडा में हुआ। तीन भाइयों में श्याम सुंदर मंझले थे। बड़ा भाई राज कुमार और छोटा मनोज कुमार हैं। बालपन में ही श्याम सुंदर की माता मूर्ति देवी का देहांत हो गया था। तत्पश्चात श्रीमती विद्या देवी ने बड़े ही प्यार-दुलार के साथ श्याम सुंदर के पालन-पोषण की जिम्मेदारी निभाई। श्याम सुंदर ने 10वीं की शिक्षा एमएचआर स्कूल भटिंडा से पूरी की। इस उपरांत 10+ 2 करने के बाद इलैक्ट्रॉनिक्स का डिप्लोमा किया। अपने कारोबार और व्यापार हित इलैक्ट्रॉनिक्स की दुकान शुरू की। श्याम सुंदर की शादी सन् 1992 में जैतो मंडी निवासी श्री मोहन लाल की बेटी पुष्पा रानी के साथ हुई।
श्याम सुंदर की शादी सन् 1992 में जैतो मंडी निवासी श्री मोहन लाल की बेटी पुष्पा रानी के साथ हुई।Shyam Sunder: Martyr Who Fought Against Tyranny
डेरा सच्चा सौदा सिरसा से 1994 में नाम की अनमोल दात प्राप्त की और सच्चा सौदा की साध-संगत द्वारा किए जाने वाले समाज भलाई कार्यों में अपना पूरा सहयोग दिया। श्याम सुंदर अपने या परिवार के किसी भी सदस्य के जन्म दिन के अवसर पर गरीबों के लिए लंगर लगाते व बच्चों को सामान बांटते। उनका मौहल्लावासियों से भी गहरा प्यार था। वे सार्वजनिक कार्यों के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। वे बड़ों का सत्कार तथा अलग-अलग सामाजिक व धार्मिक कामों में योगदान देने की भावना आदि गुणों से भरपूर थे।श्याम सुंदर के दिल में डेरा सच्चा सौदा के लिए बेइंतहा श्रद्धा भावना थी। सत्संग व नामचर्चा में जाना उनकी जिन्दगी का अटूट हिस्सा था। पूज्य हजूर पिता संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए मानवता भलाई के कार्यों में हमेशा अग्रणी रहते थे। सन् 2007 में सांप्रदायिक ताकतों व शरारती तत्वों ने डेरा सच्चा सौदा के विरूद्ध कूड़-प्रचार किया और डेरा श्रद्धालुओं पर औरंगजेब की तरह अत्याचार शुरू किये तो श्याम सुंदर यह सब सहन नहीं कर सके।
श्याम सुंदर ने सांप्रदायिक ताकतों को जनता के समक्ष उजागर करने के लिए 9 जुलाई 2007 को आत्मदाह कर लिया। Shyam Sunder: Martyr Who Fought Against Tyranny
श्याम सुंदर ने सांप्रदायिक ताकतों को जनता के समक्ष उजागर करने के लिए 9 जुलाई 2007 को आत्मदाह कर लिया। श्याम सुंदर की बलि को देख पंजाब में अमन का माहौल खराब कर रही सांप्रदायिक ताकतों की पोल पूरे समाज में खुली। श्याम सुंदर ने डेरा श्रद्धालुओं की धार्मिक स्वतंत्रता पर हो रहे कुठाराघात के खिलाफ बलि देकर सत्य की आवाज को बुलंद किया। श्याम सुंदर जो बेशक आज शारीरिक तौर पर हमारे बीच नहीं हैं, परन्तु उनकी शहादत डेरा सच्चा सौदा (सरसा) के इतिहास में अमर रहेगी। महाशहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए ब्लॉक बठिंडा द्वारा आज मलोट रोड स्थित नामचर्चा घर में नामचर्चा की जा रही है।
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