घोटाले में एसईटी की रिपोर्ट पर जांच करेगी विजीलेंस : अनिल विज
अनिल कक्कड़ चंडीगढ़। गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि शराब माफिया के खिलाफ गठित विशेष जांच दल (एसईटी) की रिपोर्ट पर मुख्य सचिव ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शेखर विद्यार्थी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही आईपीएस अधिकारी प्रतीक्षा गोदारा को कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए गृह विभाग को निर्देश दिए हैं। अनिल विज ने वीरवार को एक पत्रकारवार्ता में बोलते हुए कहा कि एसईटी की पूरी रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए उन्होंने इस पर समुचित कार्रवाई हेतु मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भेज दिया था। इस पर मुख्यमंत्री ने 10 अगस्त को उचित कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव को निर्देश दिए, जिसकी मुख्य सचिव द्वारा 25 अगस्त को अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग तथा आबकारी एवं कराधान विभाग को पत्र लिख कर जानकारी दी। उन्होंने स्वयं एसईटी की रिपोर्ट पर पूरी जांच, शेखर विद्यार्थी एवं प्रतीक्षा गोदारा के खिलाफ कार्रवाई तथा आबकारी एवं कराधान विभाग व पुलिस के अधिकारियों की विभागीय जांच करवाने की सिफारिश की थी, जिसके आधार पर यह कार्रवाई अमल में लाई गई है।
एसईटी की टिप्पणियों पर दिखाई गंभीरता
गृहमंत्री ने कहा कि इस आधार पर मुख्यमंत्री द्वारा राज्य विजीलैंस ब्यूरो को एसईटी द्वारा विभागों पर की गई टिप्पणियों की पूरी जांच करवाने के निर्देश दिए। इसके अन्तर्गत स्टॉक, लॉकडाऊन के दौरान शराब के परमिट देने बारे, गैर कानूनी तरीके से शराब रखने सहित अन्य अनियमितताओं की जांच करने को कहा गया है, जिसकी मासिक तौर पर रिपोर्ट उपलब्ध करवाने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि वे इस पूरे प्रकरण की जानकारी रखने के लिए गृह विभाग के एक अधिकारी को नियुक्त करेंगे।
किसी नेता या संगठन के दबाव में नहीं खुद शुरू करवाई थी जांच
विज ने कहा कि बिना किसी नेता या संगठन की मांग के उन्होंने स्वत: ही संज्ञान लेते हुए पूरे मामले की जांच के लिए एसईटी का गठन किया था। इसके लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी टी.सी. गुप्ता की अध्यक्षता में 11 मई 2020 को एक एसईटी का गठन किया गया था। इसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सुभाष यादव एवं आबकारी अधिकारी विजय सिंह को शामिल किया गया था। इसमें सुभाष यादव की सेवानिवृत्ति के पश्चात आईपीएस अधिकारी मोहम्मद अकील को एसईटी का सदस्य बनाया गया। एसईटी ने 31 जुलाई 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। एसईटी ने अपनी 6 चैप्टर और 2000 पेज की रिपोर्ट में अनेक संस्तुति दी, जिसको उन्होंने स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री के पास उचित कार्रवाई हेतु भेज दिया था। टीम ने इसकी जांच के लिए कई जिला आबकारी एवं कराधान आयुक्त, पुलिस अधिकारियों तथा आईएएस अधिकारियों व अन्य अधिकारियों से संपर्क किया गया।
आईएएस अधिकारी को भारी पड़ा सरकारी आदेशों का पालन न करना
ज्ञात रहे कि टीम ने पाया कि तत्कालीन आबकारी एवं कराधान आयुक्त शेखर विद्यार्थी ने जांच में कोई समुचित सहयोग नहीं किया। इतना ही नहीं सरकार द्वारा लॉकडाऊन के दौरान ठेके बंद करने के आदेश दिए थे, जिसके लिए उन्होंने कोई लिखित आदेश जारी नहीं किए। इसके अलावा विभाग की आबकारी नीति 2011-12 के अनुसार शराब की डिस्टलरी पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए थे, परन्तु आज तक इनकी कोई फीडबैक प्राप्त नहीं हुई। इसके साथ ही शराब की एक्सपायरी डेट दो साल के बाद शराब को नष्ट भी करना होता है, परन्तु एक जिले को छोड़कर किसी अन्य जिले ने इसका पालन नहीं किया। इसके चलते उक्त वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तथा अन्य के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की है। इस दौरान एसईटी ने सोनीपत की तत्कालीन एसपी प्रतीक्षा गोदारा एवं जसदीप सिंह रंधावा से भी पूछताछ की है। टीम ने रिपोर्ट में पाया गया कि प्रतीक्षा गोदारा ने खरखौदा के मुख्य शराब माफिया महेन्द्र सिंह की न केवल सहायता की, बल्कि उसे 2 अंगरक्षक भी मुहैया करवा दिए गए। इसके अलावा ऐसे अनेक आरोपों के चलते उन्होंने राज्य विजीलैंस ब्यूरो को इस पूरे मामले में एफआईआर दर्ज करने और इसकी समुचित जांच करवाने की सिफारिश की है, ताकि पूरे प्रकरण में कड़ी कार्रवाई की जा सके। इससे पहले करीब 200 शराब वाहन चालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, परन्तु असली अपराधी तक नहीं पहुंचा जा सका।
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