बठिंडा के सरकारी अस्पताल में नहीं है डॉक्टर

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जच्चा-बच्चा अस्पताल में नहीं वेंटिलेटर, गंभीर मरीजों को करना पड़ता है अन्य अस्पतालों में रैफर | Civil Hospital

बठिंडा(सुखजीत मान)। बठिंडा के शहीद भाई मनी सिंह (Civil Hospital) सिविल अस्पताल की इमारत तो बदलनी शुरू हो गई परंतु अंदर के हालात बहुत ही दयनीय हैं। वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की ओर से जारी की 4.38 करोड़ की लागत से सिविल अस्पताल की इमारत का नवीनीकरण हो रहा है परंतु इमारत में स्टाफ की कमी चुभ रही है।  विवरणों मुताबिक बठिंडा के सिविल अस्पताल सहित पूरे जिले भर में डॉक्टरों के 48 प्रतिशत पद रिक्त हैं जबकि लैबोरेट्री टैक्निशियन की 65 प्रतिशत, स्टाफ नर्सों की 52 प्रतिशत और दर्जा चार कर्मचारियों के 53 प्रतिशत पद रिक्त हैं।

जच्चा-बच्चा अस्पताल भी पदों की कमी के साथ भिड़ रहा है। डिलिवरी के लिए आते मामलों और अलग -अलग वार्डों मुताबिक एक शिफ्ट में काम करने के लिए कम से कम 5 स्टाफ नर्सों की जरूरत है परंतु यहां कुल ही 5 हैं। इसलिए एक शिफ्ट में सिर्फ 1 ही स्टाफ नर्स ड्यूटी निभाती है। अस्तपाल में साजो-सामान की कमी संबंधी पूछने पर पता चला कि यहां वेंटिलेटर भी नहीं है, जिसके निष्कर्ष के तौर पर गंभीर समस्या पैदा होने पर मरीज को फरीदकोट के सरकारी अस्पताल के लिए रैफर करना पड़ता है।

साल 2017 -18 में जन्म समय 25 बच्चों जबकि 2019 में 15 बच्चों की मौत

अस्पताल में साल 2017 -18 दौरान जन्म समय पर 25 बच्चों जबकि 2019 में 15 बच्चों की मौत हो गई स्टाफ ने इन बच्चों की मौत का कारण जन्म समय से ही होती बीमारियों व कुछ का समय से पहले जन्म होना बताया है। सिविल अस्पतालों में जो जो हाई डिपेंडीस यूनिट खोलने की स्कीम है वह भी अभी बठिंडा तक नहीं पहुंची यदि इस स्कीम के अंतर्गत यहाँं यूनिट खुलता है तो नया स्टाफ मिलने के साथ-साथ आधुनिक साजो-सामान भी मिलेगा जिसका मरीजों को काफी फायदा मिलेगा।

  • अस्पताल प्रबंधकों का तर्क है कि मरीजों के वारिस मरीजों के लिए रोटी आदि लाते हैं।
  • वह बची हुई रोटी फैंक देते हैं, जिस कारण कुत्ते यहां ज्यादा आते हैं।
  • कुछ समय पहले जब वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल सिविल अस्पताल में इमारत का नवीनीकरन शुरू करवाने पहुंचे।
  • वहां प्रोगराम दौरान मुख्य स्टेज से डॉक्टरों की कमी का भी जिक्र हुआ था।
  • वित्त मंत्री ने कहा था कि सिविल अस्पतालों में रिक्त पड़े पदों के लिए जल्दी भर्ती की जाएगी।

जच्चा-बच्चा अस्पताल में साल भर में लाख के नजदीक पहुंचती है ओपीडी

यहां के जच्चा-बच्चा अस्पताल में स्टाफ और सामान की कमी के बावजूद ओपीडी लाख के नजदीक पहुंचती है। विवरणों मुताबिक साल 2017 में ओपीडी का संख्या 94798 पर पहुंची जबकि साल 2018 में 90649 पर रही और साल 2019 के मुकम्मल विवरण हासिल नहीं हो सके। डिलिवरी संबंधी पूछे जाने पर पता चला कि साल 2017 में 5100 और 2018 में 4177 डिलिवरियां इस अस्पताल में हुई हैं।

रिक्त पदों संबंधी मुख्य दफ़्तर को अवगत करवाया : सिविल सर्जन |

सिविल सर्जन बठिंडा डॉ. अमरीक सिंह संधू का कहना है कि अस्पताल की इमारत के नवीनीकरन का काम शुरू हो चुका है और बठिंडा सहित पूरे जिले में डॉक्टरों व अन्य स्टाफ के रिक्त पदों संबंधी मुख्य दफ़्तर को अवगत करवाया गया है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है जल्दी ही अस्पताल की सभी कमियां दूर हो जाएंगी।

नवीनीकरण अच्छा परंतु कमियां भी हों दूर: महेशवरी | Civil Hospital

युवा वैलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष सोनू महेश्वरी का कहना है कि सिविल अस्पताल की इमारत का नवीनीकरण होना अच्छी बात है परंतु इसका फायदा फिर ही है यदि यहां डॉक्टरों सहित व अन्य जरूरी वस्तुओं को पूरा किया जाए।

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