एक दिन, एक गरीब लड़का जो स्कूल के बाद घर-घर जाकर सामान बेच रहा था, उसने पाया कि उसके पास केवल कुछ पैसा ही बचा है, और वह भूखा था। उसने तय किया कि वह अगले घर पर खाना मांगेगा। हालांकि, जब एक युवती ने दरवाजा खोला, तो उसने संकोच वश भोजन के बदले पानी मांगा। वह युवती समझ गई कि उसे भूख लग रही है इसलिए वह दूध का एक बड़ा गिलास ले आयी। लड़के ने धीरे से उसे पी लिया, और फिर पूछा, “मैं आपका एहसानमंद हूँ” “मुझे इसके बदले क्या देना चाहिए” उस युवती ने जवाब दिया “माँ ने हमें किसी की मदद के बदले कुछ भी स्वीकार करने के लिए कभी नहीं सिखाया है।
” उस लड़के ने कहा, “फिर मैं आपको अपने दिल से धन्यवाद देता हूं और वह उस घर से चला गया, अब वह न केवल शारीरिक रूप से अच्छा महसूस कर रहा था, बल्कि भगवान और मनुष्य में उसका विश्वास भी बढ़ गया था। वर्षों बाद में वह युवती गंभीर रूप से बीमार हो गई। स्थानीय डॉक्टर के समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उन्होंने आखिरकार उसे बड़े शहर में भेज दिया, जहाँ उन्होंने विशेषज्ञों को उसकी दुर्लभ बीमारी का अध्ययन करने के लिए बुलाया।
डॉ. हॉवर्ड केली को परामर्श के लिए बुलाया गया था। जब उसने शहर का नाम सुना तो एक अजीब-सी रोशनी उनके आँखो में भर गई। वह तुरंत उठे और अस्पताल के हॉल से नीचे अपने कमरे में चले गये अपने कपड़े बदल कर गाउन पहने वह उसे देखने गहन चिकित्सा इकाई गए उन्होंने एक बार में उस महिला को पहचान लिया। डॉ. केली ने उसके जीवन को बचाने के लिए पूरी कोशिश में लग गए और अपने निर्धारित परामर्श कक्ष में वापस चले गए।
उस दिन से वे उस औरत के उपचार पर विशेष ध्यान देने लगे। एक लंबे संघर्ष के बाद, लड़ाई जीत ली गई। डॉ. केली ने अस्पताल के व्यापार कार्यालय से अंतिम बिल पास करने का अनुरोध किया। डॉ. केली ने बिल देखा, फिर किनारे पर कुछ लिखा और बिल को महिला के कमरे में भेज दिया। महिला बिल के लिफाफे को खोलने से डर रही थी, क्योंकि उसे यकीन था कि इस बिल के भुगतान के लिए जीवन भर का कमाया हुआ पैसा लगेगा। अंत में उसने लिफाफा खोल कर देखा और एक लाइन ने बिल की तरफ उसका ध्यान आकर्षित किया। उसने निम्नलिखित शब्दों को पढ़ना शुरू किया। ‘‘एक गिलास दूध के साथ पूरा भुगतान कर दिया गया’’
– हस्ताक्षरित, डॉ. हॉवर्ड केली
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