
पेहवा (सच कहूँ न्यूज़)। Pehowa News: पृथुदक नगरी पिहोवा की ऐसी शिकंजवी जो एक बार पी ले तो बार बाद उसके जायके का मजा लेने का मन करे। लगभग साढे चार दशक पहले पिहोवा के पंडित चुन्नीलाल द्वारा बनाया गया शिकंजवी का विशेष जायका जिसे चखने के लिए आज भी छोटी सी दुकान पर लंबी कतार लगती है। चुन्नीलाल की शिकंजवी रूपी विरासत को आज भी उनके बेटे संजोए हुए हैं। जहां रोजाना सैंकड़ों लोग शिकंजवी की ठंडक प्राप्त करते हैं। पिहोवा के सरस्वती द्वार के अंदर ढाई फुट चौडी और 11 फुट लंबी शिकंजवी की दुकान पर पूरा दिन शिकंजवी पीने वालों की भीड़ लगी रहती है। Kurukshetra News
दुकान मालिक सुभाष बताते हैं कि उनके पिता पंडित चुन्नीलाल ने 1980 में यह दुकान बनाई थी। तब से लेकर आज तक वे रोजाना सुबह 7 बजे से लेकर रात के 12 तक दुकान को खुली रखते हैं। सुभाष बताते हैं कि वह सुबह 5 बजे उठकर सब्जी मंडी में जाते हैं जहां से वह नींबू खरीद कर लाते हैं और उसके बाद वह अपनी दुकान पर आकर दुकान को खोलते हैं और तभी लोगों का आना शुरू हो जाता है। सुभाष के साथ उनके छोटे भाई नरेश भी दुकान पर अपने भाई का साथ देता है और उनका बेटा भी स्कूल के बाद यहां पर आकर उनके काम में हाथ बटाता है।
डेढ मण से ज्यादा लगते हैं रोजाना नींबू | Kurukshetra News
नरेश कुमार ने कहा कि दुकान हमारी जरूर छोटी है लेकिन भगवान की दया से हमारे पास ग्राहकों की कोई कमी नहीं है ग्राहकों के साथ इतना लगाव है कि पिहोवा के साथ-साथ आसपास के गांव और शहरों के लोग जब भी पिहोवा के चौक से गुजरते हैं तो शिकंजवी जरूर पीते हैं। दूर दराज के कई लोग तो मोबाइल से पहले ही बुक कर देते हैं कि इस समय हम यहां से गुजरेंगें और शिकंजवी पिएंगें। उनका कहना है कि शिकंजवी गर्मी ही नही बल्कि सर्दियों में भी पीने के लिए आते हैं। लेकिन गर्मियों में डिमांड ज्यादा बढ़ जाती है।
नरेश की माने तो उनका कहना है कि रोजाना शिंकजवी बनाने के लिए उनकी दुकान पर डेढ मण से ज्यादा नींबू लग जाते हैं। स्वाद के बारे मे नरेश ने बताया कि उनके पिता पंडित चुन्नीलाल के समय से ही वे जिस मसाले का प्रयोग शिकंजवी मे करते हैं, वह पंडित चुन्नीलाल द्वारा तैयार किया गया था। आज भी वही मसाला तैयार किया जाता है जोकि पूरी तरह से आॅगेर्नेनिक है। इसका स्वाद इतना जबरदस्त है कि जो स्वाद चख लेता है, बार बार आता है। प्रस्तुति : जसविंद्र सिंह
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