सच कहूँ/सुखनाम, बठिंडा। कैनेडा निवासी 59 वर्षीय शेर सिंह (Sher Singh) घुटने की समस्या को लेकर पिछले दस सालों से परेशान था। विभिन्न अस्पतालों और डॉक्टरों के चक्कर लगाने के बाद एक दिन उन्होंने अपने मेहराज गांव में स्थित अपने दोस्त को अपनी समस्या बताई। जिस पर उन्होंने बठिंडा के पॉवर हाउस रोड़ स्थित 40 वर्ष पुराने गुप्ता अस्पताल के बारे में बताया।
जिसके बाद बिना देरी किए शेर सिंह कैनेडा से अपनी सारी रिपोर्टस लेकर बठिंडा हड्डी रोगों के माहिर डॉ. मोहित गुप्ता के पास पहुंचे। जहां डॉ. मोहित ने प्राथमिक जांच के बाद दोनों घुटने बदलने की सलाह दी। शेर सिंह ने बिना देरी किए ऑपरेशन करवाया। ऑपरेशन के बाद शेर सिंह अब बिलकुल तंदरुस्त और बिना सहारे चलने में भी सक्षम है।
शेर सिंह (Sher Singh) ने डॉ. मोहित का धन्यवाद करते हुए कहा कि वे घुटने के दर्द की वजह इतना परेशान था कि अपाहिज महसूस करने लगा था, परंतु ऑपरेशन के बाद से वे दस साल पुराने दर्द से छुटकारा पा चुका है। डॉ. मोहित गुप्ता ने बताया कि बदलते लाईफ स्टाइल की वजह से मनुष्य आज किसी न किसी कारण से घुटनों के दर्द से परेशान हैं। इसकी वजह घुटनों में किसी प्रकार की चोट, मोटापा या ओस्टियो आथ्राइटिस होता है।
जिनका बीएमआई (बॉडी मास इंडैक्स) अधिक यानि मोटापा अधिक हैं, उनमें घुटनों के दर्द की शिकायत ज्यादा रहती है। जब दर्द बहुत ही ज्यादा हो जाता है तो घुटने का बदलना ही उपाय रह जाता है। डॉ. मोहित गुप्ता ने बताया कि घुटनों में आथ्राइटिस होने से कई बार विकलांगता की स्थिति तक आ जाती है। जैसे-जैसे घुटने जवाब देने लगते हैं, चलना फिरना, उठना, बैठना, यहां तक कि बिस्तर से उठ पाना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में नी रिप्लेस्टमैंट यानी घुटनों को बदलना एक विकल्प के तौर पर मौजूद है।
कब पड़ती हैं जरुरत :
डॉ. मोहित गुप्ता ने बताया कि यदि एक्सरे में आपको घुटना या उसके अंदर के भाग अधिक विकारग्रस्त होते दिख रहे हों या आप घुटनों से लाचार महसूस कर रहे हों, जैसे बेपनाह दर्द, उठने बैठने में तकलीफ, चलने में दिक्कत, घुटने के कड़ापन, सूजन, लाल होना, तो घुटने बदलना जरुरी हो जाता है।
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