बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग ने रविवार को हुए 11वें संसदीय चुनाव में लगातार तीसरी बार शानदार जीत दर्ज की। इस चुनाव में विपक्ष का लगभग सफाया हो गया। हसीना की पार्टी ने 300 में से 276 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं आवामी लीग की सहयोग जातीय पार्टी को 21 सीटें मिली है। इस तरह सत्तारूढ़ आवामी लीग गठबंधन को 300 में से 288 सीटें मिली, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी(बीएनपी) के नेतृत्व वाले गठबंधन नेशनल यूनिटी फ्रंट के खाते में महज 7 सीटें आई। शेख हसीना की जीत अत्यंत प्रचंड स्तर की रही,यही कारण है कि स्वयं गोपालगंज सीट पर शेख हसीना को 2,29,539 वोट प्राप्त हुए, जबकि विपक्षी बीएनपी के उम्मीदवार को केवल 123 मत प्राप्त हुए। बांग्लादेश में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 151 सीटें चाहिए।
बांग्लादेश की संसद की संरचना: बांग्लादेश की संसद को जातीय संसद कहते हैं। गौरतलब है कि बांग्लादेश की जातीय संसद की सदस्य संख्या 350 है,जिनमें 300 सीटों के लिए मतदान होता है, शेष 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित है। इन 50 सीटों के लिए निर्वाचित 300 प्रतिनिधि एकल समानुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर वोट डालते हैं। अभी एक निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव स्थगित होने के कारण 299 सीटों पर मतदान हुआ। इस बीच विपक्ष ने एक बार फिर चुनाव में जबरदस्त धांधली के आरोप लगाए हैं। बांग्लादेश निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वह इसकी जाँच करेगा। बांग्लादेश की राजनीति एक लंबे अर्से से शेख हसीना और खालिदा जिया के इर्द-गिर्द घूम रही है। उसने 2014 में हुए आम चुनाव का बहिष्कार किया था।बीएनपी अध्यक्ष बेगम खालिद जिया भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल में सजा काट रही हंै। उनके बेटे तारिक रहमान को शेख हसीना को जान से मारने के षडयंत्र में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और वे लंदन में निर्वासन में रह रहे हैं।
शेख हसीना और बांग्लादेश का आर्थिक विकास: बांग्लादेश के चुनाव में शेख हसीना के रिकॉर्ड जीत के बाद विपक्षी दल भले ही धांधली के आरोप लगा रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में आवामी लीग के नेतृत्व में बांग्लादेश ने आर्थिक रूप से अपनी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार किया है। वर्ष 2008 में हसीना के सत्ता में आने के बाद बांग्लादेश में प्रति व्यक्ति आय तीन गुना बढ़ी है। कपड़ा उद्योग अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्तंभ के तौर पर उभरा है। अमेरिका और यूरोप में माँग में भारी कमी के बावजूद वित्त वर्ष 2017-18 के वस्त्र निर्यात के राजस्व में बांग्लादेश ने उल्लेखनीय 9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।शेख हसीना की जीत और भारत: भारत की इस चुनाव पर पैनी नजर थी। हालांकि,इस बार इन चुनावों में भारत की सक्रियता नहीं थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आम चुनाव 2018 में भारत विरोधी रूख नहीं देखा गया।
भारत के लिहाज से यह बेहद सकारात्मक बदलाव था। वरना बांग्लादेश में कई बार इस्लामिक कट्टरता के पक्षपोषक भारत विरोधी हवा को तूल देते हैं।इस तरह इन चुनावों को भारत-बांग्लादेश के बीच रिश्तों के लिए सुखद संकेत कहा जा सकता है।भारत-बांग्लादेश करीब 4,100 किमी का बॉर्डर साझा करते हैं। भारत की ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी में बांग्लादेश प्रमुख देश है। पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश में भारत का निवेश भी बढ़ा है। तीस्ता नदी को लेकर भी दोनों देशों में बात आगे बढ़ रही है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि बांग्लादेश में शेख हसीना की जीत से भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा? शेख हसीना की आवामी लीग पार्टी को भारत समर्थक के तौर पर देखा जाता है,जबकि विरोधी खालिदा जिया की पार्टी को इस्लामिक चरमपंथियों को बढ़ावा देने वाला माना जाता है।
बांग्लादेश को भारतीय सहयोग: शेख हसीना के अगले कार्यकाल के दौरान भारत के तरफ से न सिर्फ बांग्लादेश को दिये जाने वाले आर्थिक सहयोग में वृद्धि होगी, अपितु जापान के साथ मिलकर भारत हिंद महासागर में जो ढाँचागत परियोजना लगाने की योजना बना रहा है,उसमें बांग्लादेश भी भागीदार होगा। भारत,जापान और बांग्लादेश के बीच दक्षिणी बांग्लादेश में पायरा (बंदरगाह) पोर्ट बनाने की बात काफी आगे बढ़ चुकी है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि चीन भी लगातार एक पोर्ट के निर्माण का ठेका हासिल करने के लिए प्रयत्नशील है।वैसे पायरा पोर्ट की एक प्रमुख विशेषता यह है कि भारतीय समुद्र तट से इसकी दूरी काफी कम है और पूर्वोत्तर क्षेत्र को शेष भारत से जोड़ने में यह काफी महत्वपूर्ण रहेगा। पायरा पोर्ट का निर्माण भारत और जापान की तरफ से घोषित एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर(एएजीसी) के तहत किया जाएगा,जिसकी घोषणा दो वर्ष पूर्व दोनों देशों ने की थी।
एएजीसी को चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट रोड इनीशिएटिव(बीआरआई)परियोजना का जवाब माना जाता है। इस तरह बांग्लादेश में पिछले कुछ वर्षों से कई औद्योगिक परियोजनाओं में मदद के बाद अब भारत बांग्लादेश में पोर्ट विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है। इससे भारत की सिलीगुड़ी रूट पर निर्भरता घटेगी। भारत पूर्वोत्तर राज्यों में सामान और अन्य चीजों के लिए सिलीगुड़ी रूट पर निर्भरता घटाना चाहता है। चीन के साथ डोकलाम विवाद का मुख्य कारण सिलीगुड़ी रूट ही रहा है। इसके अतिरिक्त भारत बांग्लादेश तक डीजल आपूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम कर रहा है, जो 2020 तक पूरा हो जाएगा। भारत,बांग्लादेश को परमाणु तकनीक में भी सहयोग कर रहा है। स्पष्ट है कि हसीना की वापसी से भारत-बांग्लादेश संबंध के तीन मूल भूत तत्व समेकित आतंकवादी पहल,व्यापार वाणिज्य तथा आत्मविश्वास निर्माण प्रयास के आधार और भी मजबूत होंगे।
राहुल लाल
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