एक बार सरसा शहर के कुछ प्रशासनिक अधिकारी व डॉक्टर आपस में मिलकर बातें करने लगे कि आश्रम डेरा सच्चा सौदा के संत बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज सच्चे फकीर हैं। वहां डेरे में सत् ब्रह्मचारी सेवादार बिना आराम किए लम्बे समय तक कठोर मेहनत करते हैं। उन्होंने सलाह की कि बाबा जी से इस बारे में पूछा जाए। सभी एकत्रित होकर आश्रम में पहुंचे। कुछ सेवादार मकान बनाने की सेवा में जुटे हुए थे। सभी के चेहरे दमक रहे थे और मस्ती में ये पंक्तियां सामूहिक रूप से गुनगुना रहे थे ‘‘धन-धन की आवाज पई आवे, गुरू जी तेरे मंदरां विचों, कोई करे नसीबां वाला सत्संग दो घड़ियां। सच्चा सौदा दी आवाज पई आवे, सत्संग दो घड़ियां।’’ थोड़ी देर में ही शहनशाह जी सेवा वाली जगह पर आकर मूढ़े पर विराजमान हो गए।
सांई जी के दर्शन पाकर सभी को अपार प्रसन्नता हुई। ‘धन-धन सतगुुरू तेरा ही आसरा’ नारे की आवाज सभी ओर से आने लगी। पूजनीय शाह मस्ताना जी ने नारा स्वीकार करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया। सेवादार भाई सतगुरू जी के दर्शन कर दुगुने उत्साह से फिर से सेवा में जुट गए। फिर सरसा शहर से आए हुए अधिकारीगण व डॉक्टर भी आपजी के पास आकर बैठ गए। शाह मस्ताना जी ने पूछा कैसे आए भई! एक डॉक्टर बोला कि सांई जी, कोई बात सुनाओ। आप जी ने फरमाया, ‘‘आपके दिल में जो शंका है, पहले वह बताओ। क्या पूछना चाहते हो?’’ डॉक्टर हैरान हुआ और बोला कि सांई जी, यहां सत् ब्रह्मचारी सेवादार दिन-रात काम करते हैं और भोजन भी कम लेते हैं और सोते भी बहुत ही कम हैं। डॉक्टरी हिसाब से तो यह अंधे, गूंगे और बहरे भी हो सकते हैं और इनका दिमाग भी खराब हो सकता है। इस पर आप जी ने एक सत् ब्रह्मचारी सेवादार को कोई शब्द सुनाने को कहा।
वह सत् ब्रह्मचारी सेवादार खुश होता हुआ सुरीली आवाज में शब्द बोलने लगा- ‘फु ल्लां वांगू महकणां जे विच संसार दे, कन्डेयां दे नाल बीबा हस के गुजार दे…’ आप जी ने डॉक्टर से पूछा, ‘‘इस सत् ब्रह्मचारी सेवादार का दिमाग कैसा लगता है?’’ डॉक्टर बोला यह तो बड़ा ही मस्त है। फिर आप जी ने एक और सत् ब्रह्मचारी सेवादार से यह वचन पढ़वाए कि रात को जागना फकीर की खुराक है और यह हमारी जिंदगी का अमृत है, जिसके लिए हम जागते हैं। दिमाग भी उसी का बनाया है, उसी के सहारे हम जी रहे हैं। यह देखकर व सुनकर डॉक्टरों व अफसरों का भ्रम दूर हो गया। आप जी का संग करके वे अपने आप को नसीबों वाला समझ रहे थे।
आप जी ने सभी पर दृष्टि डालते हुए वचन फरमाए, ‘‘ऐ इन्सान! क्या यह अच्छा नहीं कि तुम अपनी जान अपनी आजादी के लिए अपने सतगुरू के हवाले कर दो। नहीं तो मौत तुम्हारी जान एक दिन जरूर ले जाएगी। तुम खुद ही बताओ कि यह बात अच्छी है या वो।’’ फिर आगे आप जी ने मीठी मुस्कान बिखेरते हुए फरमाया,‘‘सुनो डॉक्टर, यह सब सत् ब्रह्मचारी सेवादार कभी भी अंधे नहीं होंगे, यह तो अंधों को आंख देने वाले बन जाएंगे।’’ यह सुनकर वह सभी डॉक्टर व अफसर बहुत ही प्रभावित हुए। उन्हें पता चल गया कि कुल मालिक की कृपा द्वारा ही यहां तो मस्ती व शांति का साम्राज्य है और यहां का काम दिमाग से परे है।
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