शाह मस्ताना जी दातार आज लिया अवतार

Mastana Balochistani - Sach Kahoon

इतिहास गवाह है कि जब-जब धरती पर बुराईयों ने जन्म लिया और लोगों में मानवता दम तोड़ने लगी, तब-तब भगवान स्वयं संत, पीर, फकीर के रूप में मानवता को सही मार्ग दिखाने के लिए अवतार लेते रहे हंै। और ऐसी ही एक आलौकिक ज्योत संवत विक्रमी 1948 यानि सन् 1891 में कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन इस धरती पर अवतरित हुई।

गांव कोटड़ा, तहसील गंधेय, रियासत कुलायत (बिलोचिस्तान) में पूज्य पिता श्री पिल्ला मल जी के घर, पूज्य माता तुलसां बाई जी की पवित्र कोख से जन्मे ‘पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज’ ने लोगों को राम नाम से ही नहीं जोड़ा बल्कि परमात्मा को पाने का आसान व वास्तविक मार्ग भी दिखाया। आप जी ने 29 अप्रैल 1948 को सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी और हरियाणा, पंजाब राजस्थान में 23 आश्रमों का निर्माण करवाया व धर्म, जात, मजहब के फेर में उलझे मानव को रूहानियत, सूफीयत की वास्तविकता का परिचय करवाकर इंसानियत का पाठ पढ़ाया।

‘‘सच्चा सौदा खुद-खुदा के हुक्म से बना है’’

सन् 1959 की बात है एक दिन पूज्य बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज सुबह 10 बजे डेरा सच्चा सौदा आश्रम में लगी बगीची में टहल रहे थे। इस दौरान पूज्य सार्इं जी के पीछे-पीछे भक्त खेमचंद व चार अन्य सेवादार भी चल रहे थे। चलते-चलते भक्त खेमचंद ने कहा कि सार्इं जी! हमारा दिल तो नहीं चाहता, परन्तु पूछना चाहते हैं कि आपके बाद यहां क्या बनेगा।

पूज्य बेपरवाह जी ने खेमचंद की तरफ नूरी मुख करके फरमाया, ‘‘ खेमा कैसे ? तुम्हारी बात हमारी समझ में नहीं आई’’ खेमचन्द ने कहा कि सार्इं जी! आप के बाद यहाँ कहीं पूजा का स्थान न बन जाए। जिस प्रकार अन्य धार्मिक स्थानों में लोग पैसे रखकर माथा टेकते हैं, चढ़ावा चढ़ाते हैं उसी प्रकार यहां भी न होने लग जाए।

यह बात सुनकर पूज्य बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज जोश में आकर बोले, ‘‘कितने वर्षांे से तू हमारे साथ रहता है। तुमने हमें आदमी ही समझा है। यह जो सच्चा सौदा बना है, यह किसी आदमी का बनाया हुआ नहीं है। यह खुद-खुदा सच्चे पातशाह के हुक्म से बना है, खुद-खुदा के हाथों से बना है। जब तक धरती आसमान रहेगा, सच्चा सौदा कायम रहेगा।

डेरा सच्चा सौदा ‘अलखपुर धाम’, दारेवाला

जिला सरसा से 62 किलोमीटर दूर सरसा-डबवाली रोड़ पर गाँव बिज्जूवाली जाने वाले लिंक रोड़ पर गाँव अहमदपुर दारेवाला में डेरा सच्चा सौदा ‘अलखपुर धाम’ स्थित है। सन् 1953 में पूजनीय बेपरवाह सार्इं जी ने जब रामपुर थेड़ी में सत्संग फरमाया तो इस दौरान गाँव दारेवाला की साध-संगत ने गाँव में आश्रम बनाने व सत्संग करने की विनती की। जिस पर पूज्य बेपरवाह जी ने वचन किए ‘‘वरी! आपके प्रेम को देखकर आपका डेरा मंजूर करते हैं। पहले डेरा बना लो और फिर सत्संग भी जरूर करेंगे।

 

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