क्या आप जानतें हैं कि हम आज जो कपड़ें पहन रहें उसे सीलने वाली मशीन का अविष्कार किसने किया हैं। दरअसल सिलाई मशीन का अविष्कार एलायस होवे ने किया था। एलायस होवे का जन्म 9 जुलाई 1819 को हुआ था। एलायस होवे को आज दुनिया सिलाई मशीन के आविष्कारक के रूप में जानती है। एलायस होवे का शुरूआती बचपन अमेरिका के मैसाचुसेट्स में बीता था। सन 1837 में वे मैसाचुसेट्स में कार्डिंग मशीनरी के साथ मैकेनिक के रूप में काम करने के लिए चले गए। एलायस होवे ने 10 सितंबर 1846 में सिलाई मशीन को पेटेंट कराया था। इससे पहले प्रथम मशीन ए. वाईसेन्थाल ने 1755 ई. में बनाई थी। इसकी सूई के मध्य में एक छेद था और दोनों सिरे नुकीले थे। फिर 1790 ई. में थामस सेंट ने दूसरी मशीन का आविष्कार किया। फिर कई सालों बाद एलायस होवे के द्वारा बनाई गई सिलाई मशीन को सन 1846 में लॉकस्टिच डिजाइन के लिए पहले अमेरिकी पेटेंट पुरस्कार से नवाजा गया।
लेकिन अमेरिका में कोई भी व्यक्ति इस मशीन को खरीदने के लिए तैयार नहीं हुआ। फिर होवे के भाई ने ब्रिटेन में इस मशीन को 250 पाउंड में बेचा दिया। उसके बाद उन्होंने सन 1851 में जिपर (पेंट में लगने वाली चेन) का आविष्कार कर उसे पेटेंट कराया। एलायस होवे का खून के थक्के के कारण मात्र 48 की आयु में ही निधन हो गया था। भारत में 19वीं शताब्दी के अंत तक मशीन आ गई थी। इन मशीनों में 2 मुख्य मशीन थीं एक अमरीका की सिंगर और दूसरी इंग्लैंड की ‘पफ’ मशीन। यह जानकर सभी को आश्चर्य होगा कि सिलाई मशीन का अविष्कार एक सपने के कारण हुआ हैं। दरअसल हुआ यूँ कि, एलायस होवे को एक दिन सपना आया। उन्होंने सपने में देखा की उन्हें आदिवासियों ने पकड़ लिया हैं और वे उन्हें जलाने वाले हैं। उन्होंने यह भी देखा कि, उन आदिवासियों के पास कुछ सामान है, जिससे वे कुछ सील रहें होते हैं। सपने में आदिवासियों को कुछ सिलतें हुआ एलायस होवे ने देखा और उनके मन में सिलाई मशीन बनाने का विचार आया। इस सपने के कारण ही सिलाई मशीन का अविष्कार हुआ।
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