जीते जी गुर्दा दान करके कायम की मानवता की मिसाल
हांसी (सच कहूं/मुकेश)। वैसे तो संसार में तरह-तरह के दान प्रचलित हैं कोई रुपए-पैसे का दान करता है, कोई कपड़े दान करता है, या कोई गुप्त दान के माध्यम से अपनी आस्था मानवता के प्रति जाहिर करता है। मगर डेरा सच्चा सौदा सेवादार लगातार दान की परिभाषा को बदलने का काम करते हैं। डेरा अनुयायियों के लिए दान मानवता की सेवा करने का एक तरीका है। जैसे खून दान, नेत्रदान, शरीर दान और इसी कड़ी में जीते जी गुर्दा दान करके डेरा सच्चा सौदा सेवादार एक मिसाल कायम करते आ रहे हैं। ऐसी ही एक मिसाल कायम की है प्रेमपुरा धाम गढ़ी ब्लॉक के गांव ढाणी कुम्हारान की रहने वाली सावित्री इन्सां ने।
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जिन्होंने अपने देवर के बेटे को किडनी दान करके उसे मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया। सावित्री इन्सां ने बताया कि उनके देवर के बेटे की पिछले दो साल से किडनी की बीमारी लगातार बनी हुई थी, मगर अब डॉक्टरों ने जवाब दे दिया और किडनी प्रत्यारोपण को ही आखरी रास्ता बताया। जब हर तरह से निराश हो गए तो यह बात सावित्री इन्सां को पता चली। उन्होंने सहर्ष किडनी दान करने का निश्चय कर लिया। गौरतलब है कि ढाणी कुम्हारान की रहने वाली सावित्री इन्सां का पूरा परिवार डेरा सच्चा सौदा का सेवादार है।
सावित्री इन्सां के पति जनक राज इन्सां ने बताया कि जब हमें यह पता चला कि उनकी धर्मपत्नी ने किडनी दान करने का फैसला कर लिया है तो पूरे परिवार ने सावित्री इन्सां के इस फैसले का स्वागत करते हुए पूज्य गुरुजी के वचनों पर फूल चढ़ाने का फैसला किया और बिना किसी लालच या स्वार्थ के किडनी दान के इस फैसले पर अमल किया। गुड़गांव के अस्पताल में राकेश पुत्र प्रेम सिंह को किडनी दान की। आसपास के क्षेत्र में सावित्री इन्सां द्वारा किए गए इस कार्य की भरपूर सराहना की जा रही है।
मैंने यह काम पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा पर चलते हुए किया है और मुझे अब भी किसी भी तरह की कोई कमजोरी परेशानी महसूस नहीं होती। हालांकि जब आॅपरेशन थिएटर में ले जाया जाना था तब भी पूज्य गुरु जी ने मुझे इतनी हिम्मत दी कि मेरा मन एक बार भी नहीं घबराया। हम सतगुरु जी का लाख-लाख धन्यवाद करते हैं जिन्होंने हमें ऐसी पावन प्रेरणा दी है।
सावित्री इन्सां, ढाणी कुम्हारान।
मुझे डॉक्टरों ने पिछले 2 वर्ष से यह कह दिया था कि तुम्हारी किडनी ने काम करना बंद कर दिया है। जब हमने किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में पता किया तो कहीं भी इसके बारे में कोई मदद नहीं मिली। रिश्ते में मेरी ताई सावित्री इन्सां ने मुझे किडनी देने का फैसला किया तो मेरी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहा। क्योंकि आज के इस स्वार्थी युग में बिना किसी मतलब के कोई किसी की मदद नहीं करता, वहीं सावित्री इन्सां मुझे बिना किसी लालच के अपनी एक किडनी देने के लिए तैयार हो गई। मैं अब पहले से काफी बेहतर महसूस करता हूं और मैं सावित्री इन्सां और पुज्य गुरुजी का बार-बार धन्यवाद करता हूं कि जिन्होंने अपने अनुयायियों को ऐसी प्रेरणा दी।
राकेश कुमार पुत्र प्रेम सिंह, दिल्ली।
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