कुछ दिन पहले ओडिशा में एक ट्रेन हादसे (Odisha Train Accident) में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों अन्य घायल हो गए थे। कुछ परेशान करने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर घूम रहे हैं, जिनमें दुर्घटना के शिकार लोगों के शवों को जानवरों की तरह ट्रकों में फेंका जा रहा है। जब भी मैं ट्रेन हादसों के बारे में पढ़ता हूं तो मुझे 26 नवंबर 1998 को खन्ना के पास हुए पंजाब के सबसे भीषण ट्रेन हादसे के दृश्य याद आ जाते हैं। मैंने अपने जीवन में कभी इतने शव और घायल नहीं देखे और न ही इतना भयानक हादसा देखा। उस समय मैं पायल सब-डिवीजन में बतौर डीएसपी के पद पर कार्यरत था। Odisha Train Accident
हादसा सुबह तीन बजे के करीब हुआ और आधे घंटे में ही पुलिस, जीआरपी, रेलवे के अधिकारी और सिविल प्रशासन मौके पर पहुंच गया। आज 25 साल बाद भी वह भयानक मंजर मेरी आंखों के सामने है। ट्रेन के डिब्बे इस तरह चकनाचूर हो गए जैसे किसी बच्चे ने गुस्से में माचिस की डिब्बी को मरोड़ दिया हो। एक ट्रेन का इंजन तोप के गोले की तरह दूसरी ट्रेन के डिब्बों के आर-पार हो गया। सोए रहे लोगों को शायद पता नहीं होगा कि मौत ने उन्हें अपने शिकंजे में जकड़ रखा है। हादसा मानवीय भूल के कारण हुआ, जब सियालदह एक्सप्रेस फ्रंटियर मेल की अग्रिम पंक्ति के तीन डिब्बों से टकरा गई। सियालदह एक्सप्रेस जम्मू से दिल्ली जा रही थी और फ्रंटियर मेल दिल्ली से लुधियाना जा रही थी।
हर तरफ घायलों की चीख-पुकार मची हुई थी | (Odisha Train Accident)
खन्ना से पांच किलोमीटर दूर कौड़ी गांव के पास फ्रंटियर मेल के तीन डिब्बे गल्त कपलिंग के कारण ट्रेन से अलग होकर सियालदह एक्सप्रेस ट्रैक पर जा गिरे। इससे पहले कि यात्री बोगियों से उतर पाते, 110 किमी. की रफ्तार से आ रही सियालदह एक्सप्रेस उनसे टकराकर पटरी से उतर गई और बुरी तरह पलट गई। सियालदह के चार और फ्रंटियर के तीन डिब्बे पूरी तरह नष्ट हो गए। दोनों ट्रेनों में करीब 2500 यात्री सवार थे, जिनमें से 212 की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए। Khanna Train Accident
हादसा इतना भीषण था कि सियालदह का इंजन टीन के डिब्बे की तरह कुचल दिया गया और चालक के शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो गए। इस दर्दनाक हादसे का सबसे उल्लेखनीय पहलू इन विकट परिस्थितियों में पंजाबियों द्वारा दिखाई गई अनुकरणीय और महान सेवा भावना थी। चूंकि दुर्घटना स्थल खेतों में होने के चलते बिजली की कोई व्यवस्था नहीं थी। हर तरफ घायलों की चीख-पुकार मची हुई थी और कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। लेकिन खबर फैलते ही आसपास के गांवों और खन्ना के सैकड़ों लोग तुरंत मदद के लिए दौड़ पड़े। Khanna
सरकारी अस्पताल में सैकड़ों की संख्या में लोग रक्तदान करने पहुंचे
रोशनी की व्यवस्था के लिए किसानों ने दुर्घटनास्थल के दोनों तरफ दर्जनों ट्रैक्टर खड़े कर दिए। न किसी ने डीजल की परवाह की और न ही प्रशासन से इसकी मांग की। दानदाताओं ने सुबह होने से पहले घटनास्थल पर सैकड़ों स्ट्रेचर, बिस्तर, कंबल और चिकित्सा सामग्री पहुंचा दी। किसी भी वस्तु के लिए यदि अधिकारी आवाज उठाते तो सौ लोग हाजिर होते। सरकारी अस्पताल में सैकड़ों की संख्या में लोग रक्तदान करने पहुंचे।
रात से ही चाय-प्रसाद का लंगर शुरू हो गया था और पीड़ितों के वारिसों के ठहरने की व्यवस्था के लिए लोगों ने अपने घरों के दरवाजे खोल दिए थे। दिल्ली से रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी जब मौके पर पहुंचे तो लोगों द्वारा की गई व्यवस्था को देख वे भावुक हो गए। एक अधिकारी ने बताया कि कई राज्य तो ऐसे हैं यदि वहां कोई दुर्घटना हो जाए तो लोग मदद करने के बजाय मृतकों और घायलों की संपत्ति लूटने लगते हैं। Odisha Train Accident
सबसे बड़ी दिक्कत शवों को उनके पते पर पहुंचाने में आई
कानूनी कार्रवाई करने के बाद सबसे बड़ी दिक्कत शवों को उनके पते पर पहुंचाने में आई। मृतकों के सभी वारिस इतने समृद्ध नहीं थे कि वे दिल्ली से दक्षिण तक वाहन किराए पर कर सकें। फिर पंजाबियों के भाई कन्हैया जी का सेवा भाव सामने आया। खन्ना के दानदाताओं ने भारत के कोने-कोने में शवों को पहुंचाने के लिए अपने खर्च पर टैक्सियां उपलब्ध करवाई और गरीब वारिसों को यात्रा खर्च के लिए पैसे भी दिए। Odisha Train Accident
इस दौरान एक बेहद घटिया हरकत भी हुई। जब सभी लोग नि:स्वार्थ भाव से बचाव कार्य में जुटे हुए थे, तब रेडक्रॉस के कर्मचारियों ने एक सरकारी कर्मचारी को मृतकों के जेवरात और पैसे चुराते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। इस व्यवहार से लोग तैश में आ गए और मारपीट कर उसे भगा दिया। अब भी जब किसी ट्रेन हादसे की खबर आती है तो मन उदास हो जाता है। मानवीय भूल और लापरवाही के कारण पूरे परिवार नष्ट हो जाते हैं, लेकिन बार-बार हादसों के बावजूद कालांतर की गलतियों को सुधारा नहीं जा रहा है।
हादसों के बाद की गई जांच में भ्रष्ट, अक्षम अधिकारियों की खामियां सामने आती हैं। लेकिन क्या फायदा मुर्दा वापस नहीं आएगा। इसलिए रेलवे व्यवस्था को हर स्तर पर सुधारा जाना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के हादसे न हों। किसी मंत्री या उच्च अधिकारी के इस्तीफे या निलंबन से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
बलराज सिंह सिद्धू, कमांडेंट एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार(यह लेखक के अपने विचार हैं)