चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि राज्य में अब आक्सीजन के सहारे जी रहे मरीजों की संख्या बढ़कर नौ हजार को पार कर गयी है लेकिन रोजाना आपूर्ति 110 से 120 टन मिल रही है । इसलिए बढ़ते मरीजों की तादाद को देखते हुए अधिक मात्रा में आक्सीजन टैंकर मुहैया करवाया जाए। उन्होंने कहा कि कोविड संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन ले जाने के लिए जरुरी टैंकर उपलब्ध नहीं हैं।
मुख्यमंत्री ने कल कोविड समीक्षा बैठक में कहा कि राज्य को तुरंत और अधिक टैंकरों की जरूरत है क्योंकि इस समय राज्य के पास सिर्फ़ पंद्रह टैंकर ही उपलब्ध हैं और आज दो और आने की संभावना है। यह संख्या हालात से निपटने के लिए बहुत कम है। पंजाब को दूसरे राज्यों के अलग-अलग प्लांटों से 195 टन की अलॉटमेंट की गई है लेकिन पिछले सात दिनों में वास्तविक सप्लाई रोजाना 110-120 टन रही है । इस समय ऑक्सीजन सहायता पर मरीजों की संख्या नौ हजार को पार कर गई है।
उन्होंने कहा कि राज्य में ऑक्सीजन की मौजूदा खपत रोजाना 225 टन से अधिक है जबकि हर रोज माँग में औसतन विस्तार लगभग 15-20 प्रतिशत हो रहा है। मुख्य सचिव विनी महाजन ने बताया कि राज्य में ट्रांसपोर्टरों के पास उपलब्ध ट्रकों की कमी के अलावा एक टैंकर को बोकारो प्लांट से 90 टन कोटे की अलॉटमेंट लाने में लगभग 4-5 दिन लगते हैं जिस कारण हालात और बिगड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि जब तक राज्य को और ज्यादा टैंकर नहीं मिलते, स्थिति और बिगड़ सकती है।
लगाई गई पाबंदियों की पालना करे लोग
बोकारो से 90 टन के अलावा राज्य की मौजूदा अलॉटमेंट बद्दी वाले प्लांट से 60 टन, पानीपत प्लांट से 20 टन, रुड़की में प्लांट से 15 टन और देहरादून में प्लांट से 10 टन है। राज्य के ए.एस.यूज और स्थानीय पी.एस.ए. से रोजाना लगभग 80 टन ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है और निरंतर आधार पर उत्पादन बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए काफी नहीं है।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ओ.पी. सोनी ने कहा कि बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए सरकारी अस्पतालों में और ऑक्सीजन सिलेंडरों की भी जरूरत है। मुख्यमंत्री ने सोमवार को कोविड स्थिति की समीक्षा के दौरान स्पष्ट किया कि वो पूरी तरह और सख्त लाकडाऊन के हक में नहीं हैं। लोगों को सरकार की ओर से लगाई पाबंदियों की पालना करनी चाहिए। यदि स्थिति में सुधार न हुआ तो मुकम्मल लाकडाऊन लगाने पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
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