धार्मिक अनुष्ठानों पर बढ़ाए जाएं सुरक्षा बंदोबस्त

security need to tighten on religious places

मध्य प्रदेश में गणेश चतुर्थी पर विसर्जन के समय नाव पलट जाने से करीब 11 लोगों की मौत हो गई। पिछले वर्ष अमृतसर में दशहरा के समय भीड़ रावण दहन में इतना खोई हुई थी कि उन्हें रेलवे लाइनों का भी ख्याल नहीं रहा। उस पर गुजर रही ट्रेन से भी दशहरा देख रहे ये लोग अनभिज्ञ रहे और जिसके चलते यहां दर्जनों लोग घायल हो गए थे वहीं सौ के करीब लोग अपनी जान गंवा बैठे थे। इसी तरह वर्ष 2013 में रतन माता मंदिर, जिला दतिया में पूजा के लिए जा रहे भक्तों की भीड़ सड़क दुर्घटना में कुचली गई तब भी 90 के करीब श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। ऐसी दर्जनों घटनाएं हैं जहां किसी धार्मिक आयोजन के चलते दुर्घटना में मरने वालों की बहुत ज्यादा संख्या हो गई। भारत में हर महीने त्यौहार, धार्मिक पूजा-अनुष्ठान होते रहते हैं इस वजह से बिना ज्यादा सुरक्षा तामजाम के हजारों-हजार नर-नारी पूजा के दौरान अपना जीवन संकट में डाल लेते हैं।

देश भर में व्यापारिक स्थानों बाजार, मॉल, बड़ी कंपनियों के कार्यालय, सरकारी संस्थाओं में सुरक्षा व्यवस्था व सुरक्षा मानकों में काफी सुधार हुआ है। परंतु धार्मिक क्षेत्र अभी भी अपने पुराने ढरें पर ही है। यहां प्रशासन भी ज्यादा सिरदर्दी नहीं लेता क्योंकि धार्मिक आयोजक प्रशासन को आश्वस्त कर देते हैं जबकि ऐसे आयोजक सुरक्षा मापदंडों से अनभिज्ञ होते हैं, ऐसे आयोजक ज्यादातर भगवान भरोसे या श्रद्धालुओं की स्वयं की जिम्मेवारी के भरोसे रहते हैं। जब हादसा घटित होता है उस वक्त स्थितियां भगदड़ की हो जाती हैं एवं थोड़ी बहुत सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे लोग भी पल्ला झाड़ लेते हैं। देश भर में धार्मिक आयोजनों में बढ़ रहे हादसों एवं नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनजर राष्टÑीय स्तर पर एक सुरक्षा गाइडलाइन जारी की जाए।

प्रशासन का दायित्व हो कि वह राष्टÑीय सुरक्षा गाईडलाइन की पालना करवाए। इस गाईडलाइन में आयोजन स्थल, वहां जुटने वाले लोगों की अनुमानित संख्या, आयोजन स्थल के नजदीक मौजूद खतरे मसलन नदी-नाले, उबड़-खाबड़ भूमि, संकरे रास्ते, ज्वलनशील पदार्थों की उपस्थिति, प्रर्याप्त हवा, रोशनी के मापदंड तय हों तत्पश्चात लोगों के बैठने, खाने-पीने, चिकित्सा, शौचालय की संपूर्ण व्यवस्था, 20 से 25 लोगों पर एक स्वयंसेवक एवं सुरक्षा कर्मी आदि हों ताकि लोग शांतिपूर्ण पूरी सुरक्षा में रहकर अपने धार्मिक अनुष्ठानों को पूरा कर सकें।

अन्यथा इस बार जिस तरह से बटाला में पटाखा फैक्टरी में विस्फोट व मध्य प्रदेश में गणेश चतुर्थी पर नाव पलटने से लोगों की जान गई है, उसे देखते हुए अगले दिनों त्यौहारों पर लोगों एवं प्रशासन के लिए इससे भी गंभीर परिस्थितियां बन सकती हैं। आमजन को भी चाहिए कि वह अपने आसपास या घरों पर ही धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लें। इससे यहां ज्यादा भीड़ भी इक्ट्ठी नहीं होगी वहीं धार्मिक आयोजन का भी पूरा आनंद रहता है। अगर आयोजन स्थल खुले व सुरक्षित हैं तब परिवार सहित ऐसे आयोजन स्थलों पर कुछ वक्त के लिए ही जाया जाना चाहिए और ऐसे स्थानों पर भी लोग अपनी व दूसरों की सुरक्षा को महत्व दें और कोई भी ऐसी परिस्थिति न बनाएं जिससे भगदड़ मचे या कोई दुर्घटना घटे।

 

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