देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर चल पड़ी है। पंजाब में जहां रोजाना 300 से भी कम मरीज आ रहे थे, अब वहां तीन गुना बढ़कर एक हजार के करीब मरीज आ रहे हैं। इसी प्रकार हरियाणा में भी मरीजों की आंकड़ा तीन गुना बढ़कर तीन हजार के आसपास पहुंच गया है। यही हाल राजस्थान व हिमाचल प्रदेश का है। कोरोना का सबसे भयानक रूप दिल्ली में देखने को मिल रहा है, जहां 24 घंटों में मरीजों की गिनती सात हजार को पार कर गई है। सभी राज्यों में एक बात सामान है कि मरीज अब भी उन्हें शहरों में ज्यादा बढ़ रहे हैं, जो शहर पिछले कई महीनों से हॉटस्पाट बने हुए थे। पंजाब में जालंधर व लुधियाना और हरियाणा में फरीदाबाद और गुरुग्राम शामिल हैं।
अधिक जनसंख्या व व्यापारिक शहर ही कोरोना से ज्यादा संक्रमित हैं। यह बात स्पष्ट है कि सरकारों ने त्योहारों से पहले सावधानियां बरतने के लिए जिस प्रकार के दिशा-निर्देश जारी किए थे, लोगों ने उनकी पालना नहीं की। लापरवाही हमारे भारतीयों की मानसिकता का हिस्सा है। मास्क पहनना व सामाजिक दूरी बनाकर रखने को बोझ या मजाक बनाया जाता है। यह भी कह दिया जाता है कि कोरोना है ही नहीं। बाजारों में लोग लापरवाही से घूम रहे हैं। दीवाली से कुछ दिन पूर्व जिस प्रकार बाजारों में भीड़ देखी गई उससे साफ था कि कोरोना दोबारा कहर बरपाएगा। बाकी किसानों के धरनों और बिहार विधान सभा चुनावों में भी नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ाने वाली रैलियों की तस्वीरें कई लोगों ने सोशल मीडिया पर खूब वायरल की।
लापरवाही का परिणाम अब सबके सामने है। हरियाणा में दोबारा स्कूल बंद कर दिए गए हैं। दिल्ली में मास्क न पहनने पर 2000 रुपए का जुर्माना किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने हालातों की गंभीरता को देखते हुए पंजाब, यूपी और हिमाचल प्रदेश में अपनी स्पैशल टीमें भेजी हैं, लेकिन अब लोगों को भी यह समझना होगा कि कोरोना का टीका चार-पांच दिनों में आने वाला नहीं। यदि टीका आता है तो एक दिन में सभी को लगने वाला भी नहीं। फिलहाल सावधानी ही सबसे बड़ा ईलाज है। केवल सरकारों को दोष देने की बजाय जनता को भी अपनी जान की सुरक्षा करनी चाहिए। मास्क कोई मंत्री या अधिकारी आकर नहीं लगाएगा, बल्कि यह हर नागरिक की अपनी जिम्मेवारी है।
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