बारिश के कारण कमजोर हुए नए बनाए गए बंधे | Rajasthan Flood
हनुमानगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। Rajasthan Flood: घग्घर नाली बेड में जलस्तर कम होने पर एकबारगी बाढ़ का खतरा टल गया है। लेकिन अब हो रही बारिश के कारण नए बनाए गए तटबंध कमजोर हो रहे हैं। उनमें से पानी का रिसाव होने का खतरा मंडरा रहा है। मंगलवार को एसडीएम डॉ. अवि गर्ग ने जीडीसी की आरडी 88, 133 का निरीक्षण किया तो यह बात सामने आई। इस पर तत्काल जेसीबी की मदद से कमजोर हुए बंधों को मजबूत करने का कार्य किया गया।
मुंडा क्षेत्र में तटबंधों का निरीक्षण करने के दौरान एसडीएम की सरकारी गाड़ी मिट्टी में फंस गई। इस पर एसडीएम ने ट्रैक्टर की मदद से पटड़ों की स्थिति देखी। जहां बंधे कमजोर थे, उन्हें आसपास के ग्रामीणों की मदद से मजबूत करवाया गया। एसडीएम डॉ. अवि गर्ग ने बताया कि अभी घग्घर नदी में बाढ़ के हालात हैं। अब घग्घर नाली बेड में पानी कम हुआ था कि बारिश ने स्थिति खराब कर दी है। बारिश के पानी के कारण कई जगह से नए बनाए गए पटड़े कमजोर हो गए हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्य में विशेष रूप से ग्रामीण पंचायती राज विभाग के ग्रामसेवक, एलडीसी, राजस्व विभाग के पटवारी, गिरदावर के अलावा जल संसाधन विभाग के एईएन-जेईएन, मनरेगा श्रमिकों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। मनरेगा श्रमिक पटड़ों को मजबूत करने के लिए जगह-जगह लगे हुए हैं।
एसडीएम के अनुसार मुंडा में निरीक्षण के दौरान यह बात सामने आई कि किसी किसान ने घग्घर के जीडीसी में छुपाकर पाइप लगा रखी है। वह पाइप खुली होने की वजह से पास ही के खेत में खड़ी नरमा की करीब दो बीघा भूमि में पानी भर गया था। सेमनाला के तटबंधों का निरीक्षण करने के दौरान सरपंच कुंभाराम, ग्राम विकास अधिकारी पूजा, कनिष्ठ सहायक सुंदर दास, हरविंद्र सिंह, सिंचाई विभाग एसई, एक्सईएन, एईएन, जेईएन, राजस्व विभाग से पटवारी सरोज बाला, नरेंद्र सारण, कृषि पर्यवेक्षक ममता सहित क्षेत्र के जनप्रतिनिधि साथ रहे।
ओटू हैड से लगातार कम हो रही पानी की मात्रा
घग्घर नाली बेड में लगातार जलस्तर घट रहा है। इसका कारण हरियाणा के ओटू हैड से पिछले तीन दिन से राजस्थान की ओर छोड़े जा रहे पानी की मात्रा में कमी होना है। पिछले दिनों खतरे के निशान तक पहुंच चुकी घग्घर नाली बेड का पानी उतरने से प्रशासन के साथ घग्घर बहाव क्षेत्र के नागरिकों ने राहत की सांस ली है। प्रशासन, पुलिस, जल संसाधन विभाग के अधिकारी अब रिलेक्स मोड पर आ गए हैं। हालांकि अभी भी दिन-रात तटबंधों की निगरानी की जा रही है। इसमें विभिन्न सामाजिक-राजनैतिक संगठन भी सहयोग कर रहे हैं। सामाजिक व राजनैतिक संगठनों की ओर से शहर को बचाने के लिए ठीकरी पहरा दिया जा रहा है।
इस बीच बाढ़ का खतरा टलने पर मंगलवार से चिह्नित इलाके के स्कूलों को छोड़कर हनुमानगढ़, पीलीबंगा, रावतसर व टिब्बी ब्लॉक के पिछले दस दिनों से बंद पड़े स्कूल भी जिला कलक्टर के संशोधित आदेश के बाद मंगलवार को खुल गए। सोमवार को ओटू हैड से 33625 क्यूसेक पानी राजस्थान की ओर रिलीज किया जा रहा था। मंगलवार को यह मात्रा घटकर 31700 क्यूसेक रह गई। मंगलवार को घग्घर नाली बेड में पानी की मात्रा घटकर 6308 क्यूसेक रह गई जबकि सोमवार को 6650 क्यूसेक पानी चल रहा था। अभी भी घग्घर नाली बेड में क्षमता से अधिक पानी चल रहा है। लेकिन राहत की बात है कि तीन दिन पहले तटबंधों को छू रहा पानी अब काफी नीचे आ चुका है।
मंगलवार को घग्घर साइफन पर 19374 क्यूसेक पानी पहुंच रहा था। इसमें से जीडीसी आरडी 42 (सेमनाला) में 12835 क्यूसेक और घग्घर नाली बेड में 6308 क्यूसेक पानी रिलीज किया जा रहा था। इंटेक स्ट्रक्चर के जरिए इंदिरा गांधी नहर परियोजना में 2530 क्सूसेक पानी डाला जा रहा था। घग्घर नाली बेड में पिछले तीन दिनों में 700 क्यूसेक से अधिक पानी का जलस्तर कम हो चुका है। ओटू हैड से लगातार कम हो रही पानी की मात्रा के कारण सेमनाला और घग्घर नाली बेड पर दबाव कम हो रहा है। Rajasthan Flood
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