आसान नहीं रास्ता, राज्यपाल के हस्ताक्षर करने की जगह बिल भेज सकते हैं सीधा राष्ट्रपति को! (3 Agriculture Bill Pass)
सच कहूँ/अश्वनी चावला चंडीगढ़। पंजाब विधान सभा में 3 कृषि बिल पास होने के बाद भी रास्ता कोई आसान नहीं हो गया है, क्योंकि इन बिलों ने एक्ट का रूप धारण करने के लिए अभी काफी लम्बी लड़ाई लड़नी है, जिस कारण इन बिलों को कानूनी रूप में तबदील करने में कुछ महीने या फिर कई साल तक लग सकते हैं। केंद्र के कानूनों के समानांतर पंजाब में बिल पास होने से ही संवैधानिक संकट पैदा हो गया है, जिसका हल निकलने में ही बहुत अधिक समय लगेगा। फिलहाल बिल पंजाब के राज्यपाल के पास एक आधे दिन में पहुंचेंगे, उसके बाद इनको पास करवाने की लड़ाई शुरू हो जाएगी।
इसके साथ कानूनन संकट पैदा हो गया है, मसले का हल मुश्किल, लम्बी चलेगी लड़ाई : बीर दविन्द्र
पंजाब विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रह चुके बीर दविन्दर सिंह ने बताया कि जो मुद्दे या फिर बिल कानूनन संकट पैदा करते हों, उनका हल निकलना आसान नहीं होता है, बल्कि इनका हल निकलते-निकलते ही काफी साल तक बीत जाते हैं। उन्होंने कहा कि बिल विधान सभा में पास होने के बाद अब इनको राज्यपाल के पास भेजा जाएगा, जहां राज्यपाल के पास यह पावर है कि वह कई तरह के सवाल पूछते हुए इन बिलों को वापिस भेज दें या फिर इनको अपने पास ही रख लें।
यहां इन बिलों को अपने पास रखने की जगह पर राज्यपाल की तरफ से राष्ट्रपति को भेजा जा सकता है।
जहां से सलाह मांगी जा सकती है कि पंजाब विधानसभा में पास हुए बिलों के संबंध में वह क्या करें? डिप्टी स्पीकर बीर दविन्दर सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति की ओर से इन बिलों संबंधी सॉलिसिटर जनरल से सलाह मांगी जा सकती है या फिर सुप्रीम कोर्ट के कानूनन बैंच को भेजे जा सकते हैं, जहां से सलाह आने के बाद ही कोई फैसला किया जा सकता है।बीर दविन्दर सिंह ने बताया कि इस मामले में कोई भी समय सीमा नहीं है, जिसमें यह लिमिट रखी जाये कि पंजाब विधानसभा की तरफ के पास किये गए बिलों पर हस्ताक्षर किए किये जा सकें। इन बिलों के दिल्ली पहुंचने के बाद ही पता चलेगा कि राष्ट्रपति इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की बैंच की सलाह लेते हैं या फिर सॉलिसिटर जनरल की सलाह मांगी जाती है, जिसके बाद इनको पास किया जाता है या फिर रद्द किया जाता है।
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गैर कानूनन बिल नहीं ले सकेंगे एक्ट का रूप : चेतन मित्तल
केन्द्रीय अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन मित्तल ने कहा कि पंजाब विधानसभा में पेश किये गए बिल पूरी तरह गैर कानूनी हैं, क्योंकि इन बिलों में ही केंद्रीय कानून का जिक्र किया जा रहा है, इसलिए इनको केंद्रीय एक्ट की संशोधन के तौर पर माना जा सकता है और केंद्रीय कानून की संशोधन का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को ही है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार यदि संसद कोई कानून लेकर आता है तो पावर केंद्र और राज्य सरकार की भी है तो केंद्र का कानून ही माना जाएगा। इसमें सिर्फ आर्टीकल 254 की धारा 2 में यदि केंद्र के किसी भी कानून में कोई संशोधन लाना चाहते हैं तो विधानसभा में पेश करने के बाद उसके लिए राष्ट्रपति की ओर के पास करवाना जरूरी होता है।
चेतन मित्तल ने कहा कि आज जो विधानसभा में बिल पेश किये गए हैं, उनको जब तक राष्ट्रपति की ओर से इजाजत नहीं मिल जाती उस समय तक यह गैर कानूनी है। उन्होंने कहा कि इसमें धारा 6 पाई गई है। पता नहीं कौन से कानूनी व्यक्ति ने पंजाब सरकार को सलाह दी है कि यह केंद्रीय कानून को ओवरराईट करेगा। उन्होंने कहा कि यह बिल लेकर आने से पहले बेसिक एक्ट को पढ़ लेना चाहिए था कि संविधान अनुसार यह स्टैंड भी करेगा या फिर नहीं। यह कुछ लोगों को खुश करने के लिए राजनीतिक फैसला लिया गया है, जबकि यह गैर कानूनी बिल होने के साथ ही यह कहीं भी स्टैंड नहीं करेंगे।
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