खिजराबाद (सच कहूँ/राजेन्द्र कुमार)। Khizrabad News: प्रताप नगर क्षेत्र में दर्जनों के हिसाब से प्राइवेट स्कूल संचालित हैं। विद्यार्थियों को लाने व ले जाने के लिए उनके पास स्वयं के वहान व अन्य परिवहन के संसाधन हैं। स्कूल वाहनों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है। अधिकांश वाहनों में सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। प्रताप नगर क्षेत्र में लगभग दर्जनों प्राइवेट स्कूल है। प्राइवेट स्कूलों का ध्यान केवल अभिभावकों से मोटी फीस वसूलने की तरफ है। बच्चों की सुरक्षा को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। Khizrabad News
ज्यादातर स्कूली बसें काफी खासता हालत में पाई जाती है।खिड़कियों के आगे से लोहे के जाल गायब है। हर वर्ष स्कूल में बच्चों के दाखिले के समय अभिभावकों को बच्चों की सुरक्षा के लिए आश्वस्त व आकर्षक विज्ञापन देकर लुभाया जाता है। इसके चक्कर में फंस कर अभिभावक अपने बच्चों को उनके हवाले कर देते हैं। इसके बाद अभिभावकों का शोषण शुरू हो जाता है। सुरक्षा के मानकों को धत्ता बता कर स्कूल वाहनों में भेड़-बकरियों की तरह नौनिहालों को बैठा कर स्कूलों तक पहुंचाया जाता है। Khizrabad News
मासूमों को स्कूल वाहन के अंदर क्या दिक्कत है, इसकी जानकारी अभिभावकों को नही मिल पाती।सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल बसों के संचालन के लिए कई बिंदुओं पर स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया गया है, पर इन दिशा निर्देशों का पालन स्कूल प्रबंधनों द्वारा नहीं किया जा रहा है। कई स्कूल प्रबंधन मारुति वेन, टाटा मैजिक व अन्य वाहन को बिना ट्रांसपोर्ट परमिट के स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने के कार्य में लेते हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का उल्लंघन है। व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा की दौड़ में अधिकांश स्कूल प्रबंधन बच्चों को लाने-ले जाने के लिए स्कूल बसों की सेवाएं तो प्रदान कर रहे है, पर वे इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि स्कूल बसों में सुरक्षा की दृष्टि से क्या-क्या उपाय होने चाहिए।प्रताप नगर क्षेत्र मे बच्चों को लेकर सड़कों पर दौड़ रहे टाटा मैजिक व अन्य छोटे वाहनों में सुरक्षा मानकों का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा जाता है।
इन नियमों का पालन है जरूरी | Khizrabad News
सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार स्कूल बस पीले रंग से पेंट होने चाहिए। उसके आगे एवं पीछे ‘ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा हो। सभी खिड़कियों में आड़े लोहे की जाली लगे होने चाहिए। बस में अग्निशमन यंत्र होना जरूरी है। बस में स्कूल का नाम और फोन नंबर लिखा होना चाहिए। सीटों के बीच पर्याप्त जगह हो। बच्चों को बस में चढ़ाने व उतारने के लिए अनुभवी अटैंडेंट रहे। स्कूल बस के चालक व परिचालक वर्दी में होने चाहिए। स्कूल बस के चालक को कम से कम 5 साल का अनुभव हो। साथ ही सारे स्कूल बसों का ट्रांसपोर्ट परमिट होना चाहिए।
इस बारे में बात करने पर आरटीए विकास यादव का कहना था कि हम रूटीन में चेकिंग कर रहे हैं जल्द ही विशेष चेकिंग अभियान चलाकर प्रताप नगर क्षेत्र में स्कूली बसों को चेक किया जाएगा।
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