उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में शराब पीने से 56 मौतें हो गई। अब शराब को कानूनी शब्दावली में जहरीली कहें या अवैध शराब कहें, इससे शराब सात्विक नहीं होने वाली। शराब सामाजिक बुराई है, जिसे हटाया जाना चाहिए। अफसोस की बात है कि सरकार शराब बेचने की अनुमति देती है और अनुमति देने के लिए खूब सारा धन लेती है, जिसे आबकारी टैक्स कहकर अपनी नैतिक वैधता अपने आप तय कर लेती है। शराब को भारत में आदि-अनादिकाल से ताम्सिक पेय माना गया है। फिर भी यह खुलेआम बिक रही है।
शराब से लोग गंभीर बीमार हो रहे हैं , हजारों झगड़े एवं दुर्घटनाएं शराब के कारण हो रही हैं, फिर भी समाज में से शराब को हटाया नहीं जा रहा। कोई वक्त था देश के घर-घर में अफीम का नशा होता था, आज अफीम कहां है? क्योंकि अफीम की खेती व बिक्री को सरकार ने अवैध कर दिया और सख्त पाबंदी लगा दी। यूपी में ही पिछले दो महीनों में शराब से सीधे तौर पर करीब 132 लोगों की जान चली गई है, पंजाब में पिछले साल जुलाई में शराब से 121 लोग मारे गए थे। पूरे देश का अगर आंकड़ा उठाया जाए तब यह एक हजार के आसपास सलाना है, जब शराब से सीधे इतने लोग मर गए। यहां यह जानना बेहद जरूरी है कि शराब से एक जान जाती है या समाज में और भी कुछ घटित होता है? जिसकी जिम्मेवारी सरकार व समाज दोनों को उठानी पड़ती है।
शराब के कारण हुई मौत से अनाथ बच्चे, विधवा, असहाय बुजुर्ग, अगर मरने वाला एक पेशेवर है तब उस पेशे को भी उसकी क्षति झेलनी पड़ती है। अफसर, वकील, डॉक्टर, राजनेता या वैज्ञानिक महज ये ही लोग पेशेवर नहीं हैं या सिर्फ इन्हीं से देश नहीं चलता। बल्कि समाज में एक नाली साफ करने वाला, एक बुनकर, एक भवन बनाने वाला, खाना बनाने वाला, चालक, पलम्बर, दूधवाला ये भी पेशेवर हैं बल्कि ये न हों तो देश का बौद्धिक वर्ग अपना काम बाखूबी नहीं कर सकता। तभी, निजी व सरकारी क्षेत्र में एक साधारण-सा दफ्तर भी चलाना हो तो सबसे पहले उक्त पेशेवर लोगों को ही बुलाया जाता है।
शराब की सबसे ज्यादा त्रासदी समाज का यही पेशेवर वर्ग भुगतता है, जिसे कमतर आंका जाता है। गरीब पेशेवरों की त्रासदी यह है कि ये अपनी अगली पीढ़ी को किसी उच्च पेशे में पहुंचाने से पहले ही सरकार की शराब नीतियों का शिकार हो जाते हैं, बीमार, अपंग हो जाते हैं या दुनिया से रूखस्त हो जाते हैं। देश में हर नागरिक की असीम कीमत है। हर नागरिक के स्वास्थ्य व भविष्य की खातिर देश में शराब पर पूर्ण व कठोर प्रतिबंध लगाया जाए ताकि एक बोतल शराब से निकलने वाली सैकड़ों हजारों समस्याओं का अंत किया जा सके।
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