Savitri Jindal: सावित्री जिंदल हरियाणा विस के इतिहास में निर्दलीय विधायक के तौर पर निर्वाचित चौथी महिला

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Savitri Jindal: सावित्री जिंदल हरियाणा विस के इतिहास में निर्दलीय विधायक के तौर पर निर्वाचित चौथी महिला

इससे पूर्व शारदा रानी, कुमारी मेधवी और शकुंतला भगवाड़िया बन चुकी निर्दलीय विधायक | Hisar News

हिसार (सच कहूँ न्यूज)। Savitri Jindal: हाल ही में 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए सम्पन्न हुए प्रदेश के 14वें आम चुनाव के नतीजों में जहाँ प्रदेश में गत 10 वर्ष से सत्तासीन भाजपा ने इस बार 48 सीटें जीत सबको हैरान करते हुए स्वयं अपने दम पर 90 सदस्यी राज्य विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल किया है, वहीं कांग्रेस को 37 सीटें प्राप्त हुई हैं। इनेलो को 2 सीटें एवं 3 निर्दलीय विधायक जीते हैैं। बहरहाल, तीनों निर्दलीय विधायकों ने प्रदेश में बनने वाली भाजपा सरकार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है जिससे नए विधानसभा सदन में उसकी संख्या बढकर 48 से बढकर 51 हो गई है। Hisar News

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट एवं राजनीतिक विश्लेषक हेमंत कुमार ने इस संवाददाता को बताया कि 58 वर्ष पूर्व चूंकि 1 नवम्बर 1966 को तत्कालीन संयुक्त पंजाब से अलग कर बनाये गये हरियाणा प्रदेश की पहली विधानसभा के सदन को वर्ष 1962 आम चुनाव के बाद गठित पंजाब विधानसभा में हरियाणा क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले विधानसभा हलकों में से निर्वाचित विधायकों को शामिल करके ही बनाया गया था। इस बार 15 वीं हरियाणा विधानसभा के लिए 15वें नहीं बल्कि 14वें आम चुनाव हुए हैं।

बहरहाल, हेमंत ने आज तक हुए हरियाणा के सभी 14 विधानसभा आम चुनावों के आधिकारिक आंकड़ों का अध्ययन कर बताया कि ताजा विधानसभा आम चुनाव में हिसार वि.स. सीट से निर्दलीय के तौर निर्वाचित हुई सावित्री जिंदल हरियाणा विधानसभा के इतिहास में चौथी निर्दलीय महिला विधायक बनी है। इससे पूर्व वर्ष 1982 आम चुनाव में बल्लभगढ़ हलके से शारदा रानी, वर्ष 1987 में झज्जर सीट से कुमारी मेधवी और वर्ष 2005 में बावल हलके से शकुंतला भगवाड़ीया ही निर्दलीय महिला विधायक रही हैं।

1967 व 1982 में बने थे सर्वाधिक निर्दलीय विधायक | Hisar News

वर्ष 1967 और वर्ष 1982 में हुए हरियाणा विधानसभा के आम चुनावों में सर्वाधिक 16-16 निर्दलीय विधायक विजयी हुए थे जबकि वर्ष 1968 चुनावों में केवल 6 निर्दलीय विधायक जीत कर प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे। वर्ष 1972 और 2000 विधानसभा आम चुनावों में 11-11 निर्दलीय विधायक चुने गए जबकि वर्ष 1977, 1987, 2009 और 2019 के विधानसभा आम चुनावों में 7-7 निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए।

वर्ष 1991 और 2014 के चुनावों में 5-5 निर्दलीय विधायक सदन में पहुंचे हालांकि वर्ष 1996 और 2005 के विधानसभा चुनावों में 10-10 निर्दलीय विधायक बने। इस प्रकार अबकी बार वर्ष 2024 में प्रदेश के 58 वर्ष के इतिहास में सबसे कम 3 निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए हैं जिसमें हिसार हलके से सावित्री जिंदल के अलावा गन्नौर सीट से देवेन्द्र कादयान और बहादुरगढ़ हलके से राजेश जून शामिल हैं।

1982, 2009 और 2019 में निर्दलीयों की सहायता से बनी थी सरकार

हेमंत ने यह भी बताया कि वर्ष 1982, 2009 और 2019 विधानसभा आम चुनावों में प्रदेश में नई सरकार के गठन में निर्दलीय विधायकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि निर्दलीय के रूप में चुनाव जीतकर विधायक बना व्यक्ति सरकार को समर्थन दे सकता है परन्तु अगर वह औपचारिक रूप से सत्तारूढ़ राजनीतिक पार्टी या फिर सदन में किसी विपक्षी पार्टी में भी शामिल हो जाता है, तो दल बदल विरोधी कानून में उस निर्दलीय विधायक की विधानसभा सदस्यता

समाप्त हो सकती है जैसे आज से बीस वर्ष पूर्व जून, 2004 में 4 तत्कालीन निर्दलियों विधायकों-भीम सेन मेहता, जय प्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान के कथित रूप से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के कारण उन्हें तत्कालीन विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2006 में सही ठहराया था। Hisar News

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