26 जून को मुख्यमंत्री के समक्ष भी उठा था नशे का मुद्दा, बदल दिया था सिंघपुरा चौकी का पूरा स्टाफ
सच कहूँ/राजू
ओढां। गांव पक्का शहीदां में बीते दिन नशे की आॅवरडोज के कारण युवक की हुई मौत के बाद जहां गांव में भय का माहौल है तो वहीं लोगों में पुलिस प्रशासन के खिलाफ भी रोष व्याप्त है। लोगों का कहना है कि गांव में नशा युवाओं की जिंदगी लील रहा है, लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर रही। इस मामले को लेकर गांव में ग्रामीणों ने बैठक आयोजित कर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अगर नशे पर अंकुश नहीं लगा तो आए दिन एक नई घटना देखनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि गांव में नशे की आॅवरडोज से 2 दिन के अंतराल में ये दूसरी मौत है। हालांकि बीते दिन रोहीराम नामक युवक की मौत के मामले में कालांवाली पुलिस 4 लोगों के खिलाफ गैर इरादत्तन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। जबकि एक अन्य युवक की हुई मौत के मामले में परिजनों ने कोई कार्रवाई नहीं करवाई। ग्रामीणों ने गांव में बिक रहे नशे एवं आॅवरडोज से हो रही मौतों का ठीकरा सिंघपुरा पुलिस चौकी के सिर फोड़ा है।
उनका कहना है कि पुलिस नशा तस्करों को पकड़ने की बजाए उन्हें शय देती है। यहां जिक्रयोग है कि बीती 26 मई को कालांवाली क्षेत्र में आए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के समक्ष लोगों ने नशे का मुद्दा उठाते हुए सिंघपुरा चौकी के पुलिसकर्मियों की शिकायत की थी। जिसके बाद सभी कर्मचारियों का तबादला कर दिया गया। लोगों ने कहा कि कर्मचारियों का तबादला तो हो गया, लेकिन नए कर्मचारी भी नशे पर अंकुश लगाने की वजाए चालान काटने में व्यस्त रहते हैं। मृतक रोहीराम के ससुर के अनुसार उसका दामाद रोहीराम पिछले कुछ समय से नशे का आदी हो गया था। शनिवार शाम को रोही राम दवा लेने के लिए गांव में गया था। जिसके बाद उसका शव गली में पड़ा बरामद हुआ। वहीं दूसरे मामले में कुलविंदर सिंह के पिता अमृतपाल के अनुसार उन्होंने कुलविंदर का नशा छुड़वाने के प्रयास किए थे, लेकिन वह इसका बूरी तरह से शिकार हो चुका था।
पुलिस की नाकामी के कारण गांव में सरेआम चल रहा नशे का कारोबार
अमृतपाल ने बताया कि गांव में बिक रहे नशे को लेकर गांव के लोग प्रशासनिक अधिकारियों से भी मिले थे, परंतु प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते गांव में आज भी नशा सरेआम बिक रहा है और युवा इसकी भेंट चढ़ रहे हैं। गांव के युवा क्लब के प्रधान इकबाल सिंह के मुताबिक गांव में बढ़ रहे नशे के प्रकोप को रोकने के लिए गांव में नशा बेचने के लिए बाहर से आने वाले व्यक्तियों की निगरानी भी की जाती थी और पुलिस को भी सूचना दी जाती थी। लेकिन गांव के कुछ लोगों द्वारा न केवल इसका विरोध किया जाने लगा अपितु पुलिस कार्रवाई करने की बजाए उल्टा उन्हें ही परेशान करने लगी। जिसके चलते क्लब सदस्य पीछे हट गए। उन्होंने कहा कि पुलिस की नाकामी के कारण ही गांव में सरेआम नशे का कारोबार चल रहा है।
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