सरदारपुरा हिंसा : दोषियों को धार्मिक कार्य करने की शर्त के साथ जमानत

सीजेआई सहित तीन जजों की पीठ का फैसला

नई दिल्ली (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को 2002 के गुजरात दंगे के दौरान Sardarpura Violence के 17 दोषियों को राहत दी। कोर्ट ने कुछ अलग तरह की शर्तों के साथ इन्हें जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने यह फैसला सुनाया। जिसमें दोषियों को धार्मिक और सामाजिक कार्य करने का निर्देश दिया। खंडपीठ की जमानत की शर्तों के मुताबिक कुछ दोषी इंदौर और कुछ जबलपुर में रहकर धार्मिक और सामाजिक कार्य करेंगे।

  • न्यायालय ने Sardarpura Violence के इन दोषियों को दो समूह में बांट दिया है।
  • इंदौर और जबलपुर के जिला विधि अधिकारी इनकी निगरानी करेंगे।
  • वे यह सुनिश्चित करेंगे कि ये दोषी धार्मिक और सामाजिक कार्य कर रहे हों।
  • न्यायालय ने अधिकारियों को उनकी आजीविका की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया।
  • खंडपीठ ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को भी आदेश दिया।
  • जिसमें अमल संबंधी रिपोर्ट और उनके व्यवहार के बारे में रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया।

क्या है मामला:

27 फरवरी 2002 को गोधरा ट्रेन में आग लगने की घटना में 59 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। जिसमें ज्यादातर कारसेवक थे। इससे पूरे राज्य में दंगा भड़क उठा था। जिसकी चपेट में वीजापुर तालुका का सरदारपुरा कस्बा भी आ गया था। एक विशाल भीड़ ने 28 फरवरी और एक मार्च 2002 को ‘शेख वास’ गली को घेर लिया था। जहां गांव के अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहते थे। किसी अनहोनी के डर से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने इब्राहिम शेख के घर में शरण ली थी। इस बीच भीड़ ने पेट्रोल डालकर उनके घर को जला दिया। जिससे 22 महिलाओं समेत 33 लोगों की जलकर मौत हो गई थी।

 

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