बकरियां बेच लाखों कमा रहे संदीप और राजप्रीत

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प्रेरणादायक : पहले लोगों ने हंसी उड़ाई, अब प्रेरणास्त्रोत बने उच्च शिक्षित भाई

विदेश तक में भारी मांग, जहाज में गई Goats

 सोशल मीडिया के सहारे व्यवसाय को दी रफ्तार

कोई रोजगार छोटा नहीं, जरूरत है सिर्फ दृढ़ निश्चय की : राजप्रीत

सच कहूँ/राजू
सरसा (ओढां)। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद हर  किसी को अच्छी सरकारी नौकरी की चाह होती है। लेकिन यहां उच्च शिक्षित 2 भाइयों ने नौकरी को दर-किनार करते हुए कामयाबी की ऐसी इबारत लिखी कि वे बेरोजगारों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन रहे हैं। इन दोनों भाईयों ने घर पर रहकर सोशल मीडिया का सहारा लेकर ऐसा व्यवसाय शुरू किया कि न केवल वे लाखों कमा रहे हैं, अपितु विदेशी लोग भी उनके पास आ रहे हैं। हम बात कर रहे हैं ओढां खंड के गांव तारूआना के 2 भाइयों राजप्रीत व संदीप सिंह की। दोनों भाईयों ने अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद भी बिना किसी हिचकिचाहट के बकरी (Goats)  पालन व्यवसाय को अपनाया।

आज ये दोनों भाई प्रतिवर्ष न केवल लाखों रुपए कमा रहे हैं, अपितु उन्होंने विदेशों तक अपना व्यवसाय फैलाया है। इस बारे सच कहूँ संवाददाता ने बातचीत करते हुए उन्होंने अपनी कामयाबी के सफर साझा किया।

राजप्रीत एमएससी एग्रीकल्चर और संदीप है कंप्यूटर सॉफ्टवेयर डिजाइनर

राजप्रीत सिंह ने बताया कि उसने शिक्षा के क्षेत्र में बीएससी व एमएससी एग्रीकल्चर की है तो वहीं संदीप ने बताया कि उसने ग्रेजुऐशन कंप्यूटर सॉफ्टवेयर डिजाईनिंग में डिप्लोमा किया है। राजप्रीत ने बताया कि उसने सरकारी नौकरी के लिए दौड़-धूप की थी। जिसके बाद उसने अपने भाई के साथ मिलकर स्व-रोजगार चलाने का मन बनाया। राजप्रीत की शुरू से ही फार्मिंग में रूचि थी। जिसके चलते उसने मथुरा के इंस्टीट्यूट से बकरी पालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। जिसके बाद दोनों भाईयों ने बिटल नस्ल की 20 बकरियों की खरीददारी कर घर में एक छोटा-सा फार्म बनाकर कार्य की शुरूआत की।

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बकरियों की देखभाल करते हुए राजप्रीत और संदीप

लोगों की परवाह किए बिना बढ़े आगे, तो पाई कामयाबी

दोनों भाईयों ने जब उच्च शिक्षित होने के बावजूद भी बकरी पालन का व्यवसाय शुरू किया तो वे लोगों की हंसी का पात्र बने। लेकिन इन्होंने किसी की परवाह न किए बगैर सोशल मीडिया को सहारा लेकर व्यवसाय आगे बढ़ाया तो सफलता मिलनी शुरू हुई। आज दोनों भाई इस व्यवसाय में हर वर्ष घर बैठकर ही लाखों कमा रहे हैं। लोग अब दोनों के कार्य की न केवल सराहना कर रहे हैं, अपितु उनका अनुसरण भी करने लगे हैं। दूसरे राज्यों के लोग भी इनसे प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आते हैं। राजप्रीत सिंह ने बताया कि शुरूआती दौर मेंं उन्हें काफी समस्याएं आई, लेकिन उन्होंने इन्हें चुनौती के रूप में लिया। उसने बताया कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता और न ही उसमें कोई शर्म महसूस करनी चाहिए। किसान खेती के साथ-साथ ऐसे स्व-रोजगार चलाकर दोहरा फायदा उठा सकते हैं।

विदेशों में जहाज से भेजी बकरियां

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बकरियों को चारा डालते हुए मिस्टर लोगो

सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने के चलते उनका संपर्क वियतनाम के मिस्टर लोगो नामक एक फार्मर से हुआ। भाषा समझ में न आने के चलते उक्त व्यक्ति अपने साथ एक ट्रांसलेटर लेकर गांव तारूआना मेंं पहुंचा। इस फार्मर ने दोनों भाइयों से न केवल प्रशिक्षण प्राप्त किया, अपितु 80 बकरियां भी खरीदी। फार्मर इन बकरियों को जहाज के द्वारा अपने देश में ले गया। इस कार्य पर उसकी तकरीबन 15 लाख रुपए की राशि खर्च हुई। विदेशी फार्मर ने क्षेत्र में कई दिन तक रहकर दोनों भाइयों की कार्यशैली को खूब सराहा। उसने बताया कि उनके यहां इस तरह की नस्ल नहीं मिलती। नस्ल सुधार के उद्देश्य से ही वह यहां से बकरियां खरीदने आया। राजप्रीत के अनुसार उन्होंने सोशल मीडिया के सहारे तमिलनाडू, कन्याकुमारी, महाराष्ट्र सहित अन्य जगहों पर बकरियां बेची हैं। लोग दूर-दराज बैठे उनसे बकरियां खरीद रहे हैं।

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एक होटल में राजप्रीत और संदीप के साथ मिस्टर लोगो व अन्य

पंजाब की नस्ल है बिटल

  • बिटल बकरी मूल रूप से पंजाब की नस्ल है।
  • लेकिन इसे हरियाणा व राजस्थान के लोग भी पालते हैं।
  • हालांकि ये बकरी आम बकरियों की तरह ही हैं, लेकिन उनमें कुछ थोड़ा बहुत अलग है।
  • इसके अलावा नस्ल के मामले में ये बकरियां कुछ महंगी जरूर हैं, लेकिन लोग इन्हें शौंक से पालते हैं।
  • हरियाणा में लोग अपने फार्मों पर मुख्यत: इसी नस्ल की बकरियां रखते हैं।
  • अब इस नस्ल की विदेशों में भी मांग होने लगी है। इस बकरी की कीमत 18 से 30 हजार रुपए तक है।
  • राजप्रीत व संदीप के पास इस समय करीब 200 बकरियां हैं।
  • उन्होंने बताया कि वे उनकी देखरेख व उपचार आदि पर विशेष ध्यान रखते हैं।

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है बकरी का दूध

  • बकरी के दूध में गाय व भैंस के दूध से इम्यूनो ग्लोबिन अधिक होते हैं।
  • जिसकी वजह से इसमें प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है।
  • लोग बकरी के दूध को प्राय: डेंगू या बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
  • बकरी का दूध आयुर्वेदिक दवाइयों में भी इस्तेमाल होता है।
  • एक बकरी औसतन एक से दो लीटर तक दूध देती है।
  • बिटल नस्ल उत्तर भारत के मौसम के अनुसार बेहतर नस्ल है।
  • भारत में बकरियों की तकरीबन 40 नस्लें पाई जाती है, जिनमें मुख्यत: बिटल, जखराना व सिरोही आदि है।

विभाग ने चलाई मुख्यमंत्री भेड़-बकरी पालन योजना

बकरी पालन एक अच्छा व्यवसाय है। क्योंकि इस पर खर्च कम व आमदन अच्छी है। इस समय जिले में काफी लोग बकरी पालन का व्यवसाय कर रहे हैं। विभाग द्वारा पूर्व में बकरी पालन पर योजनाएं थी। जिसमेंं 21 बकरियों की यूनिट पर अनूसुचित जाति पर 50 प्रतिशत व सामान्य पर 25 प्रतिशत अनुदान दिया जाता था। लेकिन अब विभाग द्वारा मुख्यमंत्री भेड़-बकरी पालन योजना शुरू की गई है। जिसके तहत फार्मर को अनुदान नहीं अपितु उससे बकरियां या भेड़ लोन के रूप में वापिस ली जाएगी। प्रथम वर्ष 10 व द्वितीय वर्ष 11 बकरियां वापिस लेकर नए आवेदनकर्ता को नई यूनिट मुहैया करवाई जाएगी। इसका उद्देश्य ये है कि फार्मर वास्तविक ढंग से अपना रोजगार चला सके।

डॉ. सुखविन्द्र चौहान, उप-निदेशक (सरसा)

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