बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने यूटयूब चैनल पर लाइव आकर साध-संगत को दर्शन दिए। डेरा श्रद्धालुओं ने पूज्य गुरु जी के दर्श-दीदार पाकर खुशी से निहाल हो गई। आइयें, सुनते हैं पूज्य गुरु जी के रूहानी वचन….
इससे पहले पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने आमजन से ज्ञानयोगी और कर्मयोगी बनने का आह्वान किया, ताकि उसे सही और गलत की पहचान हो और समाज उत्थान में भागीदार बन सके। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कर्मयोगी यानि अच्छे कर्म करो और ज्ञान योगी उन कर्मों का ज्ञान हो। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। अकेला ज्ञान है तो कोई फायदा नहीं, अकेले कर्मयोगी हो तो कोई फायदा नहीं। सारे धर्मों में साफ लिखा है कितना भी ज्ञान क्यों ना हो जाए, जब तक उस पर अमल नहीं करते, जब तक उस पर चलते नहीं, तब तक आप कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। छोटी सी चीज भी हासिल नहीं कर सकते। आपको पता है दूध में घी है। ज्ञान है कि मक्खन से घी बनता है, लेकिन सारी प्रोसेसिंग कैसे होती है? अगर वो नहीं करोगे तो कोई फायदा नहीं। जैसे पहले सारा दिन उबालते हैं, फिर उसको ज़ाग लगाया जाता है, फिर सुबह बिलोया जाता है, मक्खन आता है, गर्म करते हैं तो घी आता है, सब पता है। लेकिन जब तक कर्म करोगे नहीं, ज़ाग लगाओगे नहीं, खट्टा लगाओगे नहीं, जमेगा नहीं और जमेगा नहीं तो आप कैसे मक्खन से घी हासिल कर सकते हो, किस तरह से। तो ये संभव नहीं है।
आपजी ने फरमाया कि पहले आप दूध को गर्म करें, फिर खट्टा, वो ज़ाग लगाएं, फिर जमने के लिए रखें, सुबह उठकर बिलोएं, फिर मक्खन आता है, छाछ अलग हो जाती है, मक्खन को गर्म करें धीमी आँच पर, घी अलग और छाछ अलग हो जाती है, तो ये है कर्म। ये ज्ञान था, लेकिन कर्म नहीं और कर्म है अगर ज्ञान नहीं तो कोई फायदा नहीं। कर्म तो आप गलत भी कर जाएंगे, जब आपको मालूम ही नहीं कि ये कर्म पाप कर्म है और ये कर्म पुण्य कर्म है। तो सिर्फ कर्मयोगी होना ही सही नहीं है। इसलिए ज्ञान योगी बनो और कर्म योगी बनो।
ये है बेग़र्ज सेवा
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि बेपरवाह जी ने हमें समझाया, सेवा और सुमिरन, दो ऐसी बातें हैं, जो कर्म योगी और ज्ञान योगी बनाकर बन्दे को बन्दे से रब्ब तक ले जाती हैं, इन्सान को भगवान तक पहुंचा सकती है। एक तो राम का नाम जपना है दूसरा सेवा। सेवा कहते किसे हैं? अभी आपने बहुत सारी समितियों का नाम सुना, अभी हम उनकी हाजरी लगा रहे थे। शायद वो सरसा में बैठे हैं। अभी हमें हाईलाइट करके दिखाया था तो पूरा पंडाल सेवादारों से भरा हुआ है, जी बिल्कुल। खचाखच शैड के नीचे साध-संगत, सेवादार बैठे हैं, आशीर्वाद बेटा। तो इनको क्या ग़र्ज है। साध-संगत को पानी पिला रहे हैं, साध-संगत को खाना खिला रहे हैं, कोई पंखा चला रहा है घूमते हुए देखेंगे, कई तो साध-संगत जहां मलमूत्र त्याग के लिए जाती है, वहां
की भी सफाई करते हैं, बहुत बड़ी सेवाएं हैं सारी। एक से बढ़कर एक। ये है बेग़र्ज सेवा। लेकिन सतगुरु मौला, ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम, कोई उसकी तरफ एक कदम चलता है तो वो उसकी तरफ सौ कदम ही नहीं अब तो हजारों कदम चलेंगे, लाखों कदम चलेंगे।
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