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ज्यादा से ज्यादा मानवता को रहें समर्पित इसके लिए कम से कम आराम करते हैं पूज्य गुरू जी, महाभारत में उपयोग हुई थी ये तकनीक
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पूज्य गुरू जी ने पिछले 600 में से 525 घंटे किए मानवता को समर्पित
आराम सरसा (अनिल कक्कड़)। पूज्य गुरू संत डाॅ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां 17 जून से पैरोल पर बरनावा आश्रम, बागपत, उत्तर प्रदेश में पधारे हुए हैं। पूज्य गुरू जी पहले दिन से लेकर अब तक लगातार मानवता को समर्पित हैं और 24 घंटे में से केवल मात्र 3 घंटे भर की ही नींद लेते हैं। हैरानी यह भी रहती है कि बावजूद इसके पूरा दिन पूज्य गुरू जी न उबासी लेते नजर आते हैं और न ही शरीर या चेहरे पर ज़रा मात्र भी थकान नजर आती है। बता दें कि मंगलवार 12 जुलाई को पूज्य गुरू जी को बरनावा आश्रम पधारे हुए 25 दिन हो गए हैं और यदि इन दिनों को घंटों के हिसाब से देखा जाएगा तो कुल 600 घंटे बनते हैं। वहीं यदि पूज्य गुरू जी 24 घंटे में से केवल तीन घंटे ही आराम करते हैं और यदि पूज्य गुरू जी के आराम के घंटे जोड़े जाएं तो मात्र 75 घंटे ही आराम के बनते हैं।
रोजाना 21 घंटे मानवता को समर्पित
जब से पूज्य गुरू जी बरनावा आश्रम पधारे हैं साध संगत के पांव जमीन पर नहीं हैं। पूज्य गुरू जी पूरे दिन में 21 घंटे साध.संगत और मानवता को समर्पित कार्य में बिताते हैं। प्रशासनिक अनुमतियों के तहत साध.संगत से मिलना, उनकी कुशल क्षेम पूछना, ऑनलाइन साध.संगत से संवाद, कृषि कार्यों को देखना, सेवादारों के साथ विभिन्न खेलों में हिस्सा लेना इसी के साथ.साथ तमाम मानवता की कुशलक्षेम के लिए परमपिता परमात्मा से अरदास व ऑनलाइन आकर साध.संगत व आम जन के सवालों के जवाब देना इत्यादि, पूज्य गुरु जी की दिनचर्या में शामिल है। पूज्य गुरु जी का पूरा शेड्यूल अत्यंत बिजी रहता है बावजूद इसके पूज्य गुरु जी बेहद ऊर्जावान और नूरो-नूर रहते हैं।
क्या कोई आम इंसान रोजाना तीन घंटे में अपनी नींद कर सकता है पूरी!
यह एक वैज्ञानिक सवाल हो सकता है कि क्या कोई व्यक्ति रोजाना केवल मात्र तीन घंटे की नींद लेकर अपनी दिनचर्या इतनी उर्जावान रख सकता है! शायद नहीं, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका में हुए शोध, जो कि बीबीसी पर हाल ही में पब्लिश हुआ उसमें लिखा गया कि व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करता है कि उसे कितनी नींद लेनी चाहिए। इस शोध में 26 से 64 साल के व्यक्ति के लिए 7 से 9 घंटे की रोजाना नींद की सलाह दी गई है और साथ में कहा गया है कि कम से कम 6 घंटे और ज्यादा से ज्यादा से 11 घंटे की नींद होनी चाहिए। लेकिन पूज्य गुरू जी जो अध्यात्म से लबरेज हैं और लगातार मैडिटेशन में रहते हैं ऐसे में माना जा सकता है कि पूज्य गुरू जी मैडिटेशन आधारित एनएसडीआर जैसी ताकतवर तकनीक जो कि पुरातन समय में ऋषियों-मुनियों द्वारा एवं महाभारत में अर्जुन ने भी उपयोग की थी, वैसी तकनीक के पुरोधा हैं।
महाभारत काल में हुआ था एनएसडीआर तकनीक का इस्तेमाल
कम समय में ज्यादा नींद लेने की तकनीक का इस्तेमाल महाभारत काल में अुर्जन ने सर्वप्रथम किया था। एनएसडीआर यानि नाॅन स्लीप डीप रेस्ट यह तकनीक एक तरह की मैडिटेशन की ही प्रक्रिया है। इस तकनीक से व्यक्ति जागते हुए भी सोने का लाभ प्राप्त कर लेता है और दिमाग उसी तरह रिलैक्स होता है जैसे कि सोते समय होता है।
आयुर्वेदिक नींद है एनएसडीआर
स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिक डॉ. एंड्रयू ह्यूबरमैन ने इस तकनीक के बारे में विस्तार से बताया था। विस्तार से उन्होंने बताया है कि मॉडर्न युग में अगर नींद पूरी न हो तो आप इस तकनीक का सहारा ले सकते हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि ये आयुर्वेदिक नींद भी है। जो शरीर के लिए फायदेमंद भी है। हालांकि जब भी आपको मौका मिले रात को 7 से 8 घंटे की ही नींद लें। ये तकनीक कम समय में नींद पूरी करने की है। तो जब भी इसकी जरूरत हो तभी इसका इस्तेमाल करें।
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