अब तो परमानेंट आ जाओ बाहर
सच कहूँ। एक पक्का प्रेमी एवं दृढ़ विश्वासी जीव, जिसको उसके गुरू ने दुनियावी नशों, बुराइयों से बचाकर अपनी अपार रहमतें बख्शी, उसे अपनी रहमतों के काबिल बनाया, वह पल-पल अपने सच्चे सतगुरू के दर्श-दीदार की कामना करता रहता है और उसके दीद के लिए हर वक्त नजरें बिछाए बैठा रहता है कि कब उसका सोहणा सच्चा सतगुरू आ जाए और अपने नूरी दर्श-दीदार से उसकी प्यासी-तड़पती रूह की प्यास बुझा जाए।
ये सतगुरू का परोपकार ही है कि साढ़े छह करोड़ रूहें आज दुनियावी नशों एवं बुराइयों से बची हुई है और अपने सतगुरू के दिखाए मानवता भलाई के मार्ग का अनुसरण करते हुए सच्चे सतगुरू की अपार खुशियों का आनंद उठा रही हैं। जो दृढ़ विश्वासी और वचनों पर पक्के रहते हुए सेवा-सुमिरन एवं परमार्थ करते हैं, सतगुरू भी उनको अंदर-बाहर से हमेशा मालामाल रखते हैं। आज वही साढ़े छह करोड़ सतगुरू के दीवाने अपने सच्चे रहबर, सतगुरू दातार के इंतजार में सेवा, अखंड सुमिरन और परमार्थ करने में लगे हुए हैं ताकि उस सतगुरू की कृपा दृष्टि उनपर हो जाए और वो परमानेंट बाहर आकर उन्हें फिर से मानवता भलाई के लिए प्रेरित करे।
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