हे मेरे सतगुर दातार
ये दुनिया हो रही है नशों-बुराइयों से खज्जल-ख्वार,
इस दुनिया पर करने रहमत अपार
अब तो परमानेंट आ जाओ सरसा दरबार
मेरे सच्चे सतगुरु दातार
बहुत हो गया इंतजार
कितने ही मुरीद हैं तुझसे मिलने को बेकरार
सुन लो तड़पते दिलों की पुकार
अब तो परमानेंट आ जाओ सरसा दरबार
मिट रहा है दिलों से प्यार
हो रही है परिवारों में तकरार
तेरे दर से बदर न हो संसार
मेरे सच्चे सतगुरु दातार
अब तो परमानेंट आ जाओ सरसा दरबार
मनमोहन इन्सां
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