सरसा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने इंस्ट्राग्राम पर एक नई रील अपलोड की है। वीडियो में पूज्य गुरु जी कबूतर के साथ देख सकते हैं। वीडियो में पूज्य गुरु जी का जीव-जन्तुओं के साथ असीम स्नेह साफ नज़र आ रहा है। इसके साथ ही पूज्य गुरु जी की मनमोहक मुस्कान भी असीम खुशी का संचार कर रही है। देखते ही देखते यह वीडियो वायरल हो गया। वीडियो देखने के लिए इस पर क्लिक करें।
सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा (यूपी) से आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से साध-संगत के आॅनलाइन सवालों के जवाब देते हुए उनकी जिज्ञासा को शांत किया। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि एक-दूसरे के बारे में कोई गलत बात कहे तो शांति से सुनो। एक दिन गुजारो और अगले दिन बात करो। हो सकता है वो आपको लड़ाने के लिए बात कर रहा हो।
गृहस्थ ज़िंदगी में संयम बेहद जरूरी है, ये भी आपको बताया। घर-गृहस्थ में रहते हुए क्या भक्ति की जा सकती है? घर-परिवार में रहते हुए क्या परमपिता परमात्मा के, उस भगवान के दर्शन हो सकते हैं? जी हां, आप अपने घर-परिवार में रहिये, जिस धर्म को मानते हैं मानते रहिये, पर तालमेल बैठाइये, काम-धंधा करते हुए राम का नाम जपने का। हमारे धर्मों में लिखा है, पवित्र वेदों में कर्मयोगी और ज्ञानयोगी। सभी धर्मों में यही बात आती है हक हलाल की रोजी-रोटी, अल्लाह की इबादत, दसां नहुंआं दी कीरत कमाई, वाहेगुरु का नाम जपना, हार्ड वर्क्स और गॉड प्रेयर, तो जो पवित्र वेदों में बताया, सब कुछ वैसे हर धर्म में बताया गया। क्योंकि पवित्र वेद हमारे पुरातन हैं। सो वहीं से शुरूआत करते हैं। तो इन सभी में बताया है कि काम-धंधा करते हुए, कर्मयोगी रहते हुए आप ज्ञानयोगी बन सकते हैं। या यूं कहें कि पहले ज्ञान योगी बनिए फिर कर्मयोगी बनिए।
अच्छे-बुरे का ज्ञान हो और अच्छे-बुरे की पहचान हो तभी आप कर्म करें। कर्म, कोई भी कार्य तो आप गलत भी कर सकते हैं। अगर आपको ज्ञान नहीं, तो इसलिए ज्ञान होना जरूरी है। जब तक ज्ञान नहीं होता तब तक मालिक की कृपा दृष्टि के काबिल आप नहीं बन सकते। ज्ञान के बिना कर्म सही नहीं है। ज्ञान जब होता है, पता चलता है, कौन सा कर्म सही है, कौन सा कर्म गलत है। तो ज्ञान योगी होना कैसे संभव है? मान लीजिये आप कोई काम-धंधा करते हैं, आप गाड़ी चलाते हैं, खेती-बाड़ी करते हैं, आप बिजनेस व्यापार करते हैं तो उसमें यह जरूरी है, काम-धंधा करते रहिये, हाथों-पैरों से कर्म करने हैं और जीभा से, ख्यालों से प्रभु का नाम जपना है। आप गाड़ी चला रहे हैं, हाथों से स्टेयरिंग, देखना सामने है, पैरों से क्लच, ब्रेक या एक्सीलेटर दबाते हैं, जीभा से तो कोई क्लच, ब्रेक नहीं दबाते।
चलाते जाइये गाड़ी और जीभा से ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम का नाम लेते जाइये, तो ये है ज्ञानयोगी का ज्ञानयोगी और कर्मयोगी के कर्मयोगी। जहां जाना चाहते हो वहां भी पहुंच गए और प्रभु का नाम भी होता जा रहा है। इसी तरह खेती-बाड़ी में आप ट्रैक्टर चला रहे हैं तो राम-नाम के गीत गाइये और ट्रैक्टर हाथों-पैरों से चलाते रहिये। हल जोतते रहिये, आपको करके भी दिखाया था पिछली बार। तो ज्ञानयोगी के ज्ञानयोगी और कर्मयोगी के कर्मयोगी। तो ये तालमेल बैठाना है आपने। आप पैदल जा रहे हैं, वॉकिंग करते हैं, सुबह सबेरे दौड़ना, भागना, वॉकिंग करना अच्छी चीज है अगर आप कर पाओ तो। पर जीभा तो खाली होती है, उससे तो भागना नहीं, विचारों में तरह-तरह के विचार आ जाते हैं, वो तो सही नहीं। इसलिए आप अपने विचारों से सुमिरन करें, भक्ति करें और जीभा से भी प्रभु का नाम लें और काम-धंधा करते रहिये। वॉक कर रहे हैं, लेटे हुए हैं, बैठे हुए हैं, फुर्सत के क्षण हैं, सोने जा रहे हैं, यकीन मानों कि अगर आप लेटे-लेटे भी राम-नाम जपोगे तो बहुत जल्दी नींद भी आएगी, बढ़िया नींद आएगी और हो सकता है सपनों में भी भगवान आपके कोई कर्म काट दें। तो इस तरह घर-गृहस्थ में रहते हुए प्रभु का नाम लिया जा सकता है।
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