बरनावा। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि बेपरवाह जी (परम पिता शाह सतनाम जी महाराज) का रहमोकर्म, अब जुबां पर बात आ गई कहना ही पड़ेगा, उन्होंने ऐसा रहमोकर्म किया, हम एक्सरसाइज करते रहते हैं वहां, काम-धंधा अपना करते रहते हैं, जो भी खेती-बाड़ी अपना सारा चलता है, क्योंकि शौक है इन सारी चीजों का, कर्म करना। पहले भी करते थे, आश्रम में भी करते रहे हैं, आप सब जानते हैं। अब भी लगे रहते हैं जब समय लग जाए, खेती तो हमारा जुनून है। प्रकृति को सजाना, संवारना, या उसको लगाना।
हमारी वहां आँखें चैक की गई जब हम यहां आए, तो पहले एक बार ऐसा था कि जो बाहर भी चश्मा लगाकर बारीक अक्षर पढ़ने पड़ते थे, लेकिन बेपरवाह जी ने ऐसी रहमत की हैं कि जो यह शरीर अब आप देख रहे हैं बहुत पतला हो गया। तो अब हमारी निगाह भी सिक्स बाई सिक्स (6/6) हो गई है। अब बिना चश्में हम जहां मर्जी बैठकर अखबार पढ़ लेते हैं। एक बड़े डॉक्टर सज्जन आए थे, जो कि विदेशों में जाते हैं, आँखों के सुपर स्पेशलिस्ट हैं, कहने लगे कि गुरू जी मुझे ये बता दो यह वापिस कैसे किया है? कहते 40 वर्ष से ऊपर वालों का तो हमने बैक होते नहीं देखा। हमने कहा, नहीं हम तो 50 वर्ष से ऊपर वालों में हैं अगर तुम्हारी निगाह में देखें तो।
लेकिन यह कैसे हो गया? अपनी एक्सरसाइज करो, आदत बना लो। अब हमें ऐसी आदत बन गई है कि आप लोगों के पास आते हैं, सब कुछ करते हैं, लेकिन एक्सरसाइज हमसे छूट ही नहीं पाई और न ही छूटेगी कभी, सवाल ही पैदा नहीं होता। इस बॉडी से बेपरवाह जी ने काम लेना है, आपकी सेवा लेनी है, चौकीदार हैं, पर चौकीदार मजबूत होगा तभी तो बच्चे जल्दी-जल्दी जागेंगे और अच्छे काम करेंगे और खुशियों से झोलियां भरेंगे।
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