चंडीगढ़ (एमके शायना)। संतों की महिमा इस जगत में अपार होती है, जिसका कोंई अंत नहीं है। गुरु बिना ज्ञान की प्राप्ति नही होती और मनुष्य विचलित मन से इधर-उधर भटकता रहता है। गुरु ही हमें ज्ञान देते है और उसी से हमारे जीवन में प्रकाश उजागर होता है। हमारे जीवन में गुरु होना बहुत ही जरुरी है। गुरु की डाट में भी शिक्षा छुपी होती है। गुरु अपने शिष्यों का बुरा करना तो दूर बुरा सोचता भी नहीं। गुरु हमेशा हमें सही मार्गदर्शन दिखाता है। कई बार अहंकार वश शिष्य अपने ही गुरु पर संदेह करने लगता है। उसे संतों की बातें अच्छी नहीं लगती। घमंड में अंधे इंसान को न तो अपनी भूलें नजर आती है ना ही संतो की अच्छी बातें।
आत्म विश्वास होना जरुरी है मगर अपने वश से बाहर होकर घमंड दिखाना और गुरु के बारे अनाप-शनाप बोलना यह सब कुछ खात्मे का निमन्त्रण है। हमें अपने मन में कभी भी अहंकार का भाव नही आने देना चाहिए। अक्सर श्रेष्टता का भाव मन में आते ही लोग कैसे घमंडी हो जाते है उसका एहसास उन्हें स्वयं नही होता। संत का कोई भी कदम बिना वजह नहीं होता यह इंसान को जान लेना चाहिए। संत कभी किसी को बद्दुआ नहीं देते , सोचना तो दूर की बात है।
सबको पता है पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां पूरी दुनिया में अपने दीनता नम्रता वाले स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। उनका सब से प्रेम से बात करना सब को मोह लेता है। वह अपने पावन वचनों से लोगों की जिंदगी बदल रहे हैं व लोगों की बुराइयां, कामवासना क्रोध मोह लोभ अहंकार छुड़वा रहे हैं। बरनावा में पूज्य गुरुजी द्वारा फरमाए मीठे मीठे पावन वचनों को ‘बरनावा डायरी’ के माध्यम से एपिसोड्स बना कर साध संगत के रूबरू करवाया जाता है। इसी क्रम में डेरा सच्चा सौदा के ऑफिशियल इंस्टाग्राम पेज पर ‘बरनावा डायरी’ का ‘पांचवा एपिसोड’ अपलोड किया गया है जिसमें पूज्य गुरुजी ने प्यारी साध संगत को फरमाया कि एक संत को भले ही कोई गलत बोलता है पर संत सबके लिए दुआएं करते हैं। उन्होंने बताया कि लोगों के बुरा बोलने से संत अपना रास्ता नहीं बदलता। इस एपिसोड में उन्होंने मीठे मीठे वचनों से एक संत के विनम्र स्वभाव के बारे बताते हुए फरमाया,”एक बिच्छू था वह पानी में जा रहा था। और एक संत नहा रहा था। तो संत नहाते नहाते उस बिच्छू को निकालने लगा।
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बिच्छू ने डंक चला दिया। संतों के हाथ से बिच्छू छूट गया वह डूब रहा था, संत ने बिच्छू को फिर निकाला, बिच्छू ने फिर डंक मारा। नहर के किनारे चेले भी खड़े थे और चपटे भी खड़े थे। बुरा ना मानना , वैसे तो चेले ही होते हैं पर अर्थ दोनों का ही है, चेले चपटे। चेले ऑलरेडी शहद की मक्खियां, चपटे वह हो जाते हैं जो क्यों, किंतु ,परंतु ज्यादा करते हैं। तो उस टाइम की बात कर रहे हैं, तो वह चपटे कहने लगे, गुरुजी पागल तो नहीं हो गए? ऐसी आपस में बातें करने लगे। साथ वाले कहते क्यों? वह कहते यार गुरुजी बिच्छू को बार-बार उठाते हैं, बिच्छू डंक मारता है, गुरुजी फिर पंगा ले लेते हैं , ये गुरु जी बार-बार क्यों उठा रहे हैं ।
एक कहता गुरु जी से पूछो। उनमें से एक ने हिम्मत करके गुरु जी से पूछा, गुरुजी, बिच्छू आपको डंक मारता है और आप इसे बार-बार क्यों उठाते हो? तो पता है गुरु जी ने क्या कहा, बेपरवाह जी के वचन, कहने लगे , ध्यान से सुनना, बेटा! बिच्छू का काम डंक मारना है और हमारा काम जान बचाना हमारी आदत है। और यह कह के संत ने बिच्छू पकड़ा और धरती पर रख दिया।
आगे पूज्य गुरु जी ने फरमाया, सो बेटा चाहे कोई हमें गलत कहे, हमें गालियां दे, हमें कुछ परवाह नहीं है, ये उनकी आदत है। हम तो उनके लिए भी भगवान से दुआएं करते हैं, भगवान उन्हें सद्बुद्धि दे, उन्हें राम नाम से जोड़ दे, उनकी बुराइयां दूर करदे। ‘बरनावा डायरी’ के इस पांचवें एपिसोड को साध संगत बार-बार देख रही है और पूज्य गुरु जी के पावन वचनों को सुन खुशी से झूम रही है। आपको बता दें कि यह ‘बरनावा डायरी’ के स्पेशल एपिसोड्स हर मंगलवार और शुक्रवार को डेरा सच्चा सौदा के आॅफिशियल इंस्टाग्राम पेज पर अपलोड किए जाते हैं। अगर आपने यह एपिसोड अभी तक नहीं देखे तो आज ही यह एपिसोड देखें और पूज्य गुरु जी के लाइफ चेंजिंग अनमोल वचन सुनकर अपनी जिंदगी को खुशनुमा बनाएं।
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