अध्यात्म के इतिहास में जब भी समर्पित गुरुभक्तों की बात होती है तो बुल्ले शाह का नाम पहले नंबर पर लिया जाता है। बुल्ले शाह अपने मुर्शिद इनायत शाह पर जान छिड़कता था। अपने मुर्शिद की दीद पाने के लिए पल पल तड़फता था। उसने मुर्शिद को रिझाने के लिए नाचना सीख लिया, घुँघरू बाँध लिए, गाना सीख लिया, ऐसी ऐसी शायरी लिखने लगा जो सीधे खुदा तक पंहुचाती है। तब तक पागल हो कर गाता और नाचता रहा जब तक मुर्शिद पिघल नही गए।
आज के दौर में भी बुल्ले शाह जैसे करोड़ों लाखों मुरीद हैं जो अपने मुर्शिद को देखने, उनकी झलक पाने, उनकी आवाज सुनने को दौड़े आते हैं। मुर्शिद से शाबाशी पाने के लिए अपने आप को कुर्बान किए फिरते हैं। जी हाँ दोस्तो मै बात कर रहा हूं मानवता भलाई कार्यों के लिए विश्व विख्यात संस्था डेरा सच्चा सौदा से जुड़े करोड़ों साधकों की, जो अनेकों विपरीत अड़चनों के बावजूद गुरु की राह से जरा सा भी इधर नही हुए। दुनिया ने लाख कोशिश की उनके गुरु उनके मुर्शिद को उल्टा सीधा दिखाकर कुछ और ही दिखाने की, लेकिन उनके लिए उनका गुरु हमेशा गुरु ही रहा। गुरु के लिए नाचते रहे, गाते रहे और गुरु के वचनों को सुनने को बेताब रहे।
शनिवार को डेरा सच्चा सौदा में उन अनगिनत मुरीदों की भीड़ जुटी जो अपने गुरु को अपना सब कुछ मानते हैं। उनको अपने गुरु के रिकॉर्डिंड वचनों की वीडियो दिखाई गई तो भाव विभोर हो गए। ग्राउंड में लगे संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा के बड़े बड़े होर्डिंग के आगे लम्बलेट होकर सजदा करते देख हर जुबान यह कह उठी कि भक्त तो बहुत देखे मगर डेरा सच्चा सौदा के भक्तों जैसी अटूट भक्ति कहीं नही देखी। मै जब भी डेरा सच्चा सौदा के किसी कार्यक्रम में उमड़ी भीड़ को देखता हूं तो अनायास ही मुझे मेरा एक शेयर याद आ जाता है कि:-
हाथी की तरह बेखौफ चलते आशिक बेपरवाह देखे।
तुम एक की बात करते हो मैंने लाखों बुल्ले शाह देखे।
✍️त्रिदेव दुग्गल
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