सवाल : गुरु जी कई लोग अंडे को शाकाहारी समझते हैं, उनको कैसे समझाया जाए?
पूज्य गुरु जी का जवाब : ऐसे तो किसी भी चीज को कोई भी शाकाहारी बता सकता है। खरड़ ज्ञान को कौन सा ज्ञान काट सकता है। इसे हमारी भाषा में कहते हैं खरड़ ज्ञान। एक बात आपको सुनाते हैं। एक जमींदार था, इगोइस्ट (अहंकारी) था। वो घोड़े पर छाटी रखकर चने डाल रहा था। एक तरफ एक तसला चने का डालता और दूसरी तरफ एक रेत का डालता था। तो दूर कोई खड़ा देख रहा था। उसने किसान के पास आकर कहा कि ये क्या कर रहा है? किसान कहता कि भार को बराबर कर रहा हूँ। वो आदमी कहने लगा कि इसमें तो बात ही कुछ नहीं, दो मण चने लेकर जाने हैं और चार मण भार ढोएगा। ऐसा कर तू चने का एक तसला इधर डाल और एक उधर वाले हिस्से में डाल, इस तरह दो मण ही भार ढोना पड़ेगा, क्यों घोड़े को बेवजह भार से मार रहा है। तो आगे से वो किसान कहता कि घोड़ा किसका? आदमी कहता तेरा। किसान कहता चने किसके? आदमी कहता तेरे। किसान कहता कि मैं तो रेता डालूंगा, तेरे बाप का क्या जाता है? तो भाई कई ऐसे भी होते हैं जो कहते हैं कि मैं तो अंडे को शाकाहारी मानूंगा। अब मानेगा तो क्या कह सकते हैं। वैसे अंडा शाकाहारी नहीं हो सकता, हमारे ख्याल से तो बिल्कुल भी नहीं।
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