सांई जी ने अलौकिक खेल से बदली निंदक की जिंदगी

Saha-Mastana-Ji-Maharaj

निंदक को भेजा मिठाई का डिब्बा

एक बार एक आदमी जो तावीज आदि बनाकर बेचता था। उस व्यक्ति ने सरसा शहर में जगह-जगह मुनादी करके बताया कि आज रात को सरसा के एक चौक में जलसा होगा। इस जलसे में डेरा सच्चा सौदा के बारे में बताया जाएगा कि कैसे ये लोगों को गुमराह करते हैं और जो इनके चक्कर में एक बार पड़ जाता है वह फिर कभी छूटता नहीं। उस ईर्ष्यालु व्यक्ति ने शाही दरबार की शान के विरूद्ध कई मनघड़ंत बातें मुनादी में बोली। सरसा शहर के कुछ सत्संगियों ने आपस में मिलकर विचार किया कि आज रात को चौक पर ये व्यक्ति डेरा सच्चा सौदा के बारे में गलत बोलेगा और शहर में माहौल बिगाड़ सकता है। इसलिए शहर के 2-3 बुजुर्ग भक्तों ने पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज के पास दरबार में आकर मुनादी वाली सारी बात बताई।

आप ने इस पर भक्तों को फरमाया,‘‘आप सब की यही ड्यूटी है कि जलसे के अंदर कोई भी व्यक्ति उस व्यक्ति को कुछ न कहे। जिस किसी को भी उसकी बात बुरी लगे वह उठकर अपने घर चला जाए। जलसे में कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए। जब जलसा खत्म हो जाए तब आप प्रेमपूर्वक उस व्यक्ति को आधा किलो बर्फी एवं एक किलो दूध लेकर दे देना।’’ जलसा समाप्त होते ही हुक्मानुसार उन भक्तों ने ऐसा ही किया। उस व्यक्ति ने बर्फी खाने व दूध पीने के बाद पूछा कि आप लोगों ने किस खुशी में मुझे यह सब कुछ खिलाया-पिलाया है। उसे सत्संगियों ने बताया कि आप ने जो एक घंटा जलसा किया है। उससे आपका दिमाग थक गया होगा। पूजनीय शाह मस्ताना जी ने हमें हुक्म दिया था कि जब जलसा खत्म हो जाए तो उसे बर्फी और दूध खिला-पिला देना।

डेरा सच्चा सौदा के सत्संगी भाईयों का नम्रतापूर्वक व्यवहार देखकर और यह सोचकर कि मैंने जलसे में सच्चे सौदे वाले बाबा जी के खिलाफ बोला और उस सच्चे फकीर ने मेरे लिए बर्फी व दूध का हुक्म फरमाया। इस पर उसे अपनी गलती का अहसास हुआ। वह व्यक्ति अपने किए पर पश्चाताप करने लगा। डेरा सच्चा सौदा का प्रसाद खाने के बाद उसका हृदय पलट गया। वह व्यक्ति बोला कि मुझे पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज के दर्शन करवाओ।

वह रात भर बैचेन रहा। दूसरे दिन वह व्यक्ति डेरा सच्चा सौदा सरसा आकर आप जी से माफी मांगने लगा। वह बोला कि बाबा जी, मुझे लगता है कि मैंने आज तक अपना जीवन पाखंडों में ही गुजार दिया। मुझे क्षमा करें जी। इस पर शहनशाह जी ने फरमाया, ‘‘आपने बहुत अच्छा किया। हम मिट्टी का एक घड़ा भी खरीदते हैं तो उसे दस बार बजाकर देखते हैं।’’ वह व्यक्ति बोला कि मेरा कल्याण कैसे होगा? मुझ पर आप जी कृपा करें। आप जी मुझे भी नाम शब्द दे दें ताकि मैं भी नाम जपकर अपना छुटकारा कर सकूं। इस पर आप जी ने फरमाया, ‘‘अगर आप मालिक से मिलने की भावना रखते हैं तो आपको कुर्बानी देनी पड़ेगी। हक-हलाल की कमाई खानी पड़ेगी फिर ही मालिक से मिल सकते हो। अपने मन में विचार करो, फिर आपको नाम दे देंगे।’’ वह व्यक्ति मान गया और नाम-शब्द की प्राप्ति कर खुशियों का हकदार बन गया।

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