सरोवर के चारों ओर लगे गंदगी के अंबार
सच कहूँ/विकास सिंहमार सफीदों (सच कहूँ न्यूज)। ऐतिहासिक नगरी सफीदों के बीचोंबीच स्थित नागक्षेत्र सरोवर (Nagkshetra Sarovar) आज दुर्दशा का दंश झेल रहा है। आस्था व विश्वास का केंद्र नागक्षेत्र सरोवर के घाट क्षतिग्रस्त अवस्था में है तथा चारों ओर गंदगी का आलम है। कुरूक्षेत्र विकास बोर्ड के अधीन आने वाले इस सरोवर की ओर ना तो प्रशासन, ना पालिका और ना ही मंदिर कमेटी का कोई ध्यान नहीं है। इस सरोवर की इस दुर्दशा के कारण इसमें आस्थावान श्रद्धालुओं में भारी रोष है। हालात यह है कि सरोवर के पौड़ियों पर काई जमी हुई है, कचरा पड़ा हुआ है तथा पॉलीथिनों के अंबार लगे हुए है। सरोवर का पानी गर्मी के कारण सड़ चुका है। Nagkshetra Sarovar
उल्लेखनीय है कि सरोवर में ताजा पानी लाने के लिए इसके निर्माणकर्ताओं ने इसे साथ बह रही हांसी ब्रांच नहर से जोड़ा गया था। पिछले काफी समय से हांसी ब्रांच नहर में पानी नहीं आ रहा है। नहर में पानी ना आने के कारण इस सरोवर में भी पानी नहीं आ रहा है। पीछे से पानी ना आने के कारण सरोवर में जो पानी खड़ा है, वह भयंकर गर्मी में सुखकर बदबू मारने लगा है। पानी की बदबू के कारण इस जलाशय की मछलियों व अन्य जीव-जंतुओं के ऊपर जीवन का संकट मंडराने लगा है। सरोवर का पानी सड़कर व गंदगी की चपेट में आकर नहाने के योग्य नहीं रहा है। कुरूक्षेत्र विकास बोर्ड के द्वारा विकास कार्य तो करवाया जा रहा है लेकिन वह धीमी गति से चल रहा है।
प्राचीन इतिहास को संजोय हुए है ये सरोवर
बता दें कि नागक्षेत्र सरोवर लगभग 5 हजार वर्ष पुराना माना जाता है। प्राचीन मान्यता है कि नागक्षेत्र सरोवर में किसी समय एक विशाल हवन कुंड था जिसका निर्माण नाग जाति के दमन हेतु हुआ था। मुनि शभीक के शाप के कारण सर्पदंश से राजा परीक्षित की मृत्यु हो गई। महाराजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने नाग यज्ञ किया और मंत्रों के प्रभाव से सभी सर्प अग्निकुण्ड में गिरकर भस्म होने लगे। आस्तीक मुनि ने सर्प जाति का पूर्ण विनाश रुकवा दिया। इस नागक्षेत्र सरोवर का जीर्णोद्धार जीन्द रियासत के राजा गजपत सिंह ने करवाया था। इस तीर्थ के प्रांगण में माता जगदंबा की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के पुजारी यतिंद्र शर्मा का कहना है सफाई को लेकर वे प्रशासन व पालिका को कई बार अवगत करवा चुके हैं लेकिन स्थिति जस की तस है।
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