सच कहूँ/जगविन्दर सिद्धू, मानसा। सचखंड निवासी सत् ब्रह्मचारी सेवादार नछत्तर सिंह इन्सां(Nachhatar Singh Insan) नमित नामचर्चा डेरा शाह सतनाम जी अमनपुरा धाम मानसा में आयोजित की गई। नामचर्चा में परिवार, रिश्तेदारों, स्टेट समिति सदस्यों और साध-संगत राजनीतिक विंग और राजनेताओं, जिले के सैंकड़ों सेवादारों और साध -संगत ने बिछड़ी रूह को श्रद्धांजलि दी। नामचर्चा में कविराजों ने शब्द बोले और साध-संगत को डेरा सच्चा सौदा के पवित्र ग्रंथों में से पवित्र अनमोल वचन पढ़ कर सुनाए। नामचर्चा उपरांत पारिवारिक सदस्यों ने पांच जरूरतमन्द परिवारों को राशन दिया।
कार्यकारी प्रधान जिला मानसा कांग्रेस गुरप्रीत सिंह विक्की ने श्रद्धांजलि देते कहा कि सत् ब्रह्मचारी सेवादार नछत्तर सिंह इन्सां(Nachhatar Singh Insan) हमेशा मालिक की बंदगी और मानवता भलाई के कार्यों में लीन रहते थे। उन्होंने अपने बच्चों को रुहानियत की शिक्षा दी है। उनके जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। साध-संगत राजनीतिक विंग के सदस्य परमजीत इन्सां ने कहा कि ऐसे परिवार बहुत कम होते हैं जो सेवा को इतना ज्यादा समर्पित होते हैं। उन्होंने सत् ब्रह्मचारी सेवादार नछत्तर सिंह इन्सां को श्रद्धांजलि देते कहा कि नछत्तर सिंह इन्सां ने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से 1964 में नाम की अनमोल दात प्राप्त की। उन्होंने अपने परिवार को भी डेरा सच्चा सौदा के साथ जोड़ा।
सत् ब्रह्मचारी सेवादार नछत्तर सिंह इन्सां पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के पावन वचनों पर अमल करते हुए राम नाम के सिमरन और मानवता भलाई कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। उन्होंने डेरा सच्चा सौदा की अलग-अलग शाखाओं में पूरी श्रद्धा और लगन से सेवा की और डेरा शाह सतनाम जी अमनपुरा धाम मानसा में अपनी ड्यूटी बाखूबी निभाई और आखिरी समय तक सेवा और सिमरन में लीन रहे। ‘‘चल दिए ओड़ निभाकर सतगुरू के प्यारे, दोनों जहां की खुशियों के लूट कर नजारे’’ सत् ब्रह्मचारी सेवादार नछत्तर सिंह इन्सां ने इन पक्तियों को सार्थक सिद्ध किया है।
वक्ताओं ने उनके जीवन पर रौशनी डालते बताया कि सत् ब्रह्मचारी सेवादार नछत्तर सिंह इन्सां का जन्म 1939 में गांव शेरगढ़ तहसील तलवंडी साबो जिला बठिंडा में पिता जगमेल सिंह के घर माता चतिन्न कौर की कोख से हुआ। नछत्तर सिंह इन्सां ने पूजनीक परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से नाम की अनमोल दात प्राप्त की।
उन्होंने अपने परिवार को भी डेरा सच्चा सौदा के साथ जोड़ा। वह गांव के पहले भंगीदास बने और अधिक से अधिक लोगों को डेरा सच्चा सौदा के साथ जोड़ा। सन् 1955 में सत् ब्रह्मचारी सेवादार बनकर मानवता भलाई के कार्यों के लिए अपनी रहती जिंदगी लगा दी। इस दुख की घड़ी में इस समय पारिवारिक सदस्यों के साथ दोस्त रिश्तेदारों के अलावा डेरा सच्चा सौदा सिरसा से अमनदीप लाली इन्सां, गुरमुख इन्सां, रौणकी इन्सां, करनैल इन्सां, सोनू इन्सां, प्रमोद इन्सां, नैब इन्सां, अनूप इन्सां, महावीर इन्सां, राम निवास इन्सां, पवन खान इन्सां, निर्मल इन्सां, सौदागर इन्सां, वेद इन्सां, उम्मीद इन्सां और सतपाल इन्सां, 45 मैंबर साध-संगत राजनीतिक विंग मेजर इन्सां, अवतार इन्सां, 45 मैंबर पंजाब सूरजभान इन्सां, सागर इन्सां, 45 मैंबर यूथ शिंगारा इन्सां और अलग-अलग ब्लॉकों के 25 मैंबर, 15 मैंबर, शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैलफेयर फोर्स विंग के सेवादार और सुजान बहनें, समूह जिम्मेवार भाई और बहनें और डेरा सच्चा सौदा के सेवादार उपस्थित थे। भंगीदास सुखदेव इन्सां ने नामचर्चा की कार्यवाही चलाई। नामचर्चा दौरान कोविड 19 को देखते हुए सरकार की ओर से दी गई हिदायतों की पालना की गई।
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